छठां चौरी-चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2-4 फरवरी 2021 को Gorakhpur News

चौरी चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का छठवां संस्करण राजधानी गांव से विद्रोही अब्दुल्ला और उनके साथियों की सलामी से शुरू होने जा रहा है। यह आयोजन अब्दुल्ला के गांव राजधानी में रामचन्द्र यादव इंटर कालेज में आगामी 2 फरवरी से शुरू होगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 24 Jan 2021 02:12 PM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 02:12 PM (IST)
छठां चौरी-चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2-4 फरवरी 2021 को Gorakhpur News
छठां चौरी-चौरा फिल्म फेस्टिवल 2 फरवरी से शुरू होगा। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। चौरी चौरा विद्रोह का शताब्दी वर्ष शुरू होने के साथ ही चौरी चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का छठवां संस्करण राजधानी गांव से विद्रोही अब्दुल्ला और उनके साथियों की सलामी से शुरू होने जा रहा है। यह आयोजन अब्दुल्ला के गांव राजधानी में रामचन्द्र यादव इंटर कालेज में आगामी 2 फरवरी से शुरू होगा। अवाम का सिनेमा के बैनर तले आयोजित चौरी चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में विविध आयोजन होंगे।

सिनेमा के सरोकारों से दर्शक होंगे अवगत, सांंस्‍कृतिक कार्यक्रमों का होगा आयोजन

'अवाम का सिनेमा’ आजादी आंदोलन की साझी विरासत को नयी पीढ़ी से रूबरू कराने की मुहिम है जो वर्ष 2006 से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन की विरासत को सहेजने के लिए शुरू हुई थी। धीरे-धीरे यह कारवां बड़ा होता जा रहा है। देश-दुनिया में न सिर्फ इसे समर्थन मिला बल्कि लोगों का लगातार सहयोग भी हासिल होता रहा है। अवाम का सिनेमा देश के अलग-अलग हिस्सों में साल भर कला के विभिन्न माध्यमों को समेटे हुए विविध आयोजन करता है। अयोध्या से लेकर कारगिल तक अवाम का सिनेमा लोगों की मुलाकात जंग-ए-आजादी के शहीदों से कराता रहा है। जिसमें सरोकारी सिनेमा की बड़ी भूमिका रही है।

देश के कई शहरों में हो चुका है कार्यक्रम

अवाम का सिनेमा ने अयोध्या, फैजाबाद, मऊ, औरैया, इटावा, बिजनौर, दिल्ली, कारगिल, जयपुर, जम्मू, वर्धा, आजमगढ़, बरहज, चौरी चौरा, कानपुर, गोंडा, बनारस आदि जगहों पर लगातार आयोजन किया है। जहां एक दिवसीय आयोजनों से लेकर साप्ताहिक आयोजन किए जाते रहे हैं। इस दौरान सेमिनार, नाटक, गायन, जादू कला, कठपुतली, लोक संगीत, लोक नृत्य, फिल्म स्क्रीनिंग, चित्र प्रदर्शनी, रंगोली प्रतियोगिता, कविता पोस्टर, मार्च, क्रांतिकारियों की जेल डायरी, पत्र, तार, मुकदमें की फाइल आदि के मार्फत संवाद करने की कोशिश की जाती है। आयोजन के दरम्यान किताबों का विमोचन और नये फिल्मकारों की सरोकारी फिल्में भी रिलीज की जाती रही हैं।

प्रति वर्ष होता है फिल्म फेस्टिवल का आयोजन

स्वराज पाने की चाहत में कुर्बान हुए चौरी-चौरा विद्रोहियों की याद में अवाम का सिनेमा प्रति वर्ष फिल्म फेस्टिवल का आयोजन करता रहा है। इस बार छठवे संस्करण की आयोजन समिति में अविनाश गुप्ता, योगेन्द्र यादव जिज्ञासु, डॉ. मोहन दास, रफी खान, धीरेन्द्र प्रताप, सुनील दत्ता, डॉ. सुनील कुमार पांडेय, राम उग्रह यादव, सुरेन्द्र कुमार, रूद्र प्रताप, पारसनाथ मौर्या, विजेन्द्र अग्रहरि, शाह आलम, योगेश यादव, अमरजीत गिरी, सुनील तिवारी शामिल हैंं।

यहां की क्रांति गाथाएं आज भी लोगों की जुबान पर

एक फरवरी 1922 को सरेआम मुंडेरा बाजार में भगवान अहीर और उनके दो साथियों की पहले से चिढ़े दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने पीट-पीट कर लहूलुहान कर दिया। इसी घटना के रिएक्‍शन में चौरीचौरा कांड हुआ था। 4 फरवरी 1922 की सुबह डुमरी खुर्द में हुई जनसभा का उद्देश्य चौरी चौरा थाना जाकर दारोगा गुप्तेश्वर सिंह से भगवान अहीर को पीटने का कारण जानना था। उप निरीक्षक द्वारा अकारण भीड़ पर गोली चलाने से दो सत्याग्रियों की मौके पर मौत हो गई थी। तब सत्याग्रहियों ने अपनी कार्यनीति पर बदलाव करते हुए हिंसक रुख अख्तियार कर लिया। इस एक्शन से प्रभावित होकर संयुक्त प्रांत में हर कहीं जनता ने विद्रोह की शुरुआत कर दी।

4 फरवरी 1922 को दोपहर बाद 4 बजे किसानों के नेतृत्व में दो हजार से ज्यादा गांव वालोंं ने चौरी चौरा थाना घेर लिया था। ब्रिटिश सत्ता के लंबे उत्पीड़न और अपमान की प्रतिक्रिया में थाना भवन में आग लगा दी। जिसमें छुपे हुए 24 सिपाही जलकर राख हो गए। चौरी चौरा प्रकरण में 273 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि 54 फरार हो गए थे। इनमें से एक विद्रोही की मौत भी हो गई थी। 272 में से 228 पर मुकदमा चला, मुकदमे के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। जिससे 225 लोगों के खिलाफ ही फैसला आया। 

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