गोरखपुर में माध्‍यमिक विद्यालयों की असलियत सामने आई, आनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़े 57 फीसद बच्‍चे

कोरोना के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए आनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रहीं हैं। जिले में 479 विद्यालय हैं लेकिन इनमें से 382 ने ही समय सारणी तैयार की है। मतलब 47 फीसद आनलाइन पढ़ाई से वंचित कर दिए गए।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 01:31 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 03:11 PM (IST)
गोरखपुर में माध्‍यमिक विद्यालयों की असलियत सामने आई, आनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़े 57 फीसद बच्‍चे
डीआइओएस ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया का फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई की कलई खुल गई है। इसमें सिर्फ स्‍कूल प्रबंधन ही नही, अपितु शिक्षक और विभाग के सभी जिम्‍मेदार अधिकारी शामिल हैं। पढ़ाई के प्रति हमेशा अगंभीर रहने वाले शिक्षक और अधिकारी हमेशा चर्चा में रहे हैं। यही कारण है कि आनलाइन पढ़ाई लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। शासन के निर्देश पर आनलाइन पठन-पाठन का संचालन हुए बीस दिन से अधिक हो गए, लेकिन 49 फीसद शिक्षकों ने ही ग्रुप बनाया है। जिससे जुड़कर 43 फीसद विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। जिले में 479 विद्यालय हैं, लेकिन इनमें से 382 ने ही समय सारणी तैयार की है। यूपी बोर्ड को डीआइओएस की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में यह बातें सामने आई हैंं।

नोडल अधिकारी भी कागजों तक सीमित

कोरोना के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए आनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रहीं हैं। 20 मई से चल रही आनलाइन कक्षाओं की नियमित मानिटरिंग की जिम्मेदारी डीआइओएस व संयुक्त शिक्षा निदेशक को सौंपी गई है। प्रत्येक दस विद्यालय पर एक नोडल अधिकारी भी तैनात है। इसके बावजूद जिले के स्कूल आनलाइन कक्षाओं के संचालन में रुचि नहीं ले रहे हैं। अब इनकी भी सुनिए डीआइओएस ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया का कहना है कि जिन स्कूलों के शिक्षकों ने वाट्सएप ग्रुप बनाकर आनलाइन पढ़ाई शुरू नहीं की है, उनके प्रधानाचार्यों व नोडल अधिकारियों को जल्द पठन-पाठन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है। आनलाइन पढ़ाई की साप्ताहिक समीक्षा की जा रही है। शिथिलता बरतने वालों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

उल्‍लेखनीय है कि जनपद के माध्‍यमिक स्‍कूलों में ऐसे तमाम विद्यालय हैं जो बदनाम हैं। उनके वहां पढ़ाई कम और बाकी के कार्य ज्‍यादा होते हैं। ऐसा नहीं है कि विभाग के जिम्‍मेदार लोगों को ऐसे विद्यालयों के बारे में जानकारी नहीं है। पर उनकी भी वही गति है। यही कारण है कि उन्‍होंने आनलाइन पढ़ाई को कोई महत्‍व नहीं दिया है। इससे बड़ा क्‍या आश्‍चर्य हो सकता है कि यह मुख्‍यमंत्री का शहर है और अधिकारी एवं शिक्षक आनलाइन पढ़ाई के मामले में छात्रों के भविष्‍य के साथ खुलेआम खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रही है।

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