राजकीय कन्या इंटर कालेज भवन के लिए मिलेंगे पांच करोड़
किराए के भवन में चल रहे कन्या इंटर कालेज डुमरियागंज के दिन बहुरने वाले हैं। स्थानीय विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के प्रयास से शासन ने स्कूल निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। जनपद में यह इकलौता स्कूल है जिसके लिए सरकार की ओर से धन स्वीकृत हुआ है।
सिद्धार्थनगर : किराए के भवन में चल रहे कन्या इंटर कालेज डुमरियागंज के दिन बहुरने वाले हैं। स्थानीय विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के प्रयास से शासन ने स्कूल निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। जनपद में यह इकलौता स्कूल है जिसके लिए सरकार की ओर से धन स्वीकृत हुआ है। पिछले 42 वर्षों से यहां का स्कूल जिला पंचायत के भवन में जैसे- तैसे अव्यवस्था के बीच संचालित हो रहा था। वर्ष 1979 में इस विद्यालय की स्थापना हुई। शुरूआती दौर में यहां हाईस्कूल तक की शिक्षा दी जाती थी। बाद में वर्ष 1996 में इसे इंटरमीडिएट की मान्यता मिल गई, और विद्यालय राजकीय कन्या इंटर कालेज बन गया। प्रारंभिक दौर से ही विद्यालय किराए के भवन में चलता रहा। जिला पंचायत के जिस भवन में स्कूल चल रहा था वह इस समय काफी जर्जर अवस्था में है। इस भवन में कुल छह कमरों में से दो कमरों में कबाड़ भरा है। जबकि चार कमरा शिक्षण कार्य के उपयोग में लिया जाता है। इसमें दो कमरा ऐसा भी है जो हल्की बारिश में पानी टपकने लगता है। इसमें छह से 12 तक की कक्षाओं में लगभग साढ़े छह सौ छात्राओं की पढ़ाई संभव नही हो पा रही थी। मजबूरी में कालेज प्रशासन को अधिकांश कक्षाएं बरामदा अथवा मैदान यानी खुले आसमान के नीचे जमीन पर बिठाकर पठन-पाठन कराना पड़ता था। अब धन अवमुक्त होने पर इन समस्याओं से निजात मिलेगी।
विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि क्षेत्र की समस्याओं को जानना और निराकरण कराना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है। स्कूल के लिए भवन नहीं था, बच्चियों को पढ़ाई में दुश्वारी होती थी। हमने इसे शासन के समक्ष रखा। जिसे माननीय मुख्यमंत्री योगी महाराज गंभीरता से लिया और धन देने की स्वीकृति मिली इसका मुझे अपार हर्ष है।
प्रधानाचार्य रजनी पांडेय ने कहा कि कालेज में सिर्फ भवन की ही समस्या नहीं, बल्कि स्टाफ की भी घोर कमी है। कुल 18 शिक्षकों के पद सृजित हैं। इनमें छह प्रवक्ता व 12 एलटी ग्रेड के शिक्षक के पद शामिल हैं। वर्तमान में प्रवक्ता के केवल दो पदों पर तैनाती है, बाकी सभी पद अभी रिक्त ही पड़े हैं। जिसकी भी भरपाई आवश्यक है।