नारायणी नदी में छोड़े गए 40 घड़ियाल, जानें क्या है कारण
सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग क्षेत्र स्थित नारायणी नदी में 40 घड़ियाल छोड़े गए हैं। यह नदी घड़ियालों के लिए काफी उपयुक्त मानी गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। महराजगंज जिले में सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग क्षेत्र स्थित नारायणी नदी में सोमवार को वन विभाग व टीएसए (टर्टल सर्वाइवल एलियांस) की संयुक्त टीम ने घड़ियाल के 40 बच्चे छोड़ दिया है। इनकी पहचान के लिए टैग लगाए गए हैं।
टीएसए के निदेशक शैलेंद्र सिंह ने बताया कि जिस प्रकार जंगल में शेर की उपस्थिति स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ होने का परिचायक है, उसी तरह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ रहने का सबसे बड़ा प्रमाण घड़ियाल होते हैं। घड़ियाल के स्वच्छ धारायुक्त जल अनुकूल घड़ियाल के लिए स्वच्छ धारा युक्त जल अनुकूल होता है। वर्तमान समय में इनकी प्रजातियों में हो रही भारी कमी का कारण प्रदूषित पानी है। नारायणी नदी में लखनऊ के कुकरैल स्थित घड़ियाल ब्री¨डग सेंटर से लाए गए घड़ियालों में आठ नर व 32 मादा हैं। डीएफओ मनीष सिंह ने बताया कि आज 120 सेमी लंबे 40 घड़ियालों में 15 बच्चे मई 2013 और 25 बच्चे मई 2016 बैच के हैं।
मगरमच्छ की तरह हिंसक नहीं होते घड़ियाल
मगरमच्छ काफी हिंसक जीव होते हैं, जबकि घड़ियाल हिंसक नहीं होते हैं। मगरमच्छ की तरह घड़ियाल बिलकुल भी हिंसक नहीं होते हैं। घड़ियाल के लिए अंडे का समय भी तय है। फरवरी माह में घड़ियाल अंडे देते हैं। 40 घड़ियाल तो आज नारायणी नदी में डाले गए हैं। जबकि इसके पहले पिछले साल चार अक्टूबर 2018 को घड़ियालों के 15 बच्चे नारायणी नदी के छोड़े गए थे। इस अवसर पर एसएसबी के कमांडेंट अनुलेश कुमार, एसडीओ वन निचलौल घनश्याम राय, सूर्यबली यादव, चंदेश्वर सिंह, वनक्षेत्राधिकारी निचलौल दयाशंकर त्रिपाठी, पकड़ी रेंजर ओपी मिश्रा आदि वनकर्मी उपस्थित रहे।
टीएसए के निदेशक शैलेंद्र सिंह ने बताया कि जिस प्रकार जंगल में शेर की उपस्थिति स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ होने का परिचायक है, उसी तरह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ रहने का सबसे बड़ा प्रमाण घड़ियाल होते हैं। घड़ियाल के स्वच्छ धारायुक्त जल अनुकूल घड़ियाल के लिए स्वच्छ धारा युक्त जल अनुकूल होता है। वर्तमान समय में इनकी प्रजातियों में हो रही भारी कमी का कारण प्रदूषित पानी है। नारायणी नदी में लखनऊ के कुकरैल स्थित घड़ियाल ब्री¨डग सेंटर से लाए गए घड़ियालों में आठ नर व 32 मादा हैं। डीएफओ मनीष सिंह ने बताया कि आज 120 सेमी लंबे 40 घड़ियालों में 15 बच्चे मई 2013 और 25 बच्चे मई 2016 बैच के हैं।
मगरमच्छ की तरह हिंसक नहीं होते घड़ियाल
मगरमच्छ काफी हिंसक जीव होते हैं, जबकि घड़ियाल हिंसक नहीं होते हैं। मगरमच्छ की तरह घड़ियाल बिलकुल भी हिंसक नहीं होते हैं। घड़ियाल के लिए अंडे का समय भी तय है। फरवरी माह में घड़ियाल अंडे देते हैं। 40 घड़ियाल तो आज नारायणी नदी में डाले गए हैं। जबकि इसके पहले पिछले साल चार अक्टूबर 2018 को घड़ियालों के 15 बच्चे नारायणी नदी के छोड़े गए थे। इस अवसर पर एसएसबी के कमांडेंट अनुलेश कुमार, एसडीओ वन निचलौल घनश्याम राय, सूर्यबली यादव, चंदेश्वर सिंह, वनक्षेत्राधिकारी निचलौल दयाशंकर त्रिपाठी, पकड़ी रेंजर ओपी मिश्रा आदि वनकर्मी उपस्थित रहे।