टीबी रोगियों की तलाश में लगाई गई स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की 215 टीम

अभियान दो नवम्बर से शुरू होगा और 11 नवम्बर तक चलाया जाएगा। जिले में आठवीं बार सक्रिय टीबी रोगी खोजी अभियान चलने जा रहा है। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चल रहे इस अभियान का उद्देश्य क्षय रोग यानी टीबी का जड़ से खात्मा करना है।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 05:06 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 08:04 AM (IST)
टीबी रोगियों की तलाश में लगाई गई स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की 215 टीम
स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। जिले के करीब 4.83 लाख लोगों के बीच जाकर स्वास्थ्य विभाग की 215 टीमें टीबी रोगियों की खोज करेंगी। इन सभी लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। जिनमें टीबी के लक्षण दिखेंगे उनके बलगम की जांच होगी।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी के दिशा-निर्देशन में यह अभियान दो नवम्बर से शुरू होगा और 11 नवम्बर तक चलाया जाएगा। जिले में आठवीं बार सक्रिय टीबी रोगी खोजी (एसीएफ) अभियान चलने जा रहा है। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चल रहे इस अभियान का उद्देश्य क्षय रोग यानी टीबी का जड़ से खात्मा करना है।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि इससे पूर्व 26 दिसम्बर 2017 से लेकर 23 अक्टूबर 2019 के बीच कुल 07 एसीएफ अभियान चले। इन अभियानों के जरिये करीब 33 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई। जिन लोगों में टीबी के लक्षण दिखे उनके बलगम की जांच करवायी गयी। जांच के बाद 1342 टीबी रोगी चिन्हित किये गये और उनका इलाज किया गया। कार्यक्रम के जिला समन्वयक धर्मवीर सिंह, एएन मिश्रा समेत जिला स्तरीय अधिकारियों की निगरानी में कुल 645 स्वास्थ्यकर्मी टीबी रोगियों की खोज करेंगे। अभियान में 21 चिकित्सा अधिकारी, 53 पर्यवेक्षक और 37 लैब टेक्निशियन (एलटी) भी शामिल होंगे।

कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत होगी जांच

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि कोरोना के प्रसार को देखते हुए मेडिकल टीम शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोगों से बातचीत करेंगी और लक्षणों के आधार पर स्क्रीनिंग की जाएगी। टीम मॉस्क लगा कर क्षेत्र में जाएंगी और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखेंगी।

6378 रोगियों का चल रहा इलाज

 20 जनवरी 2020 से 20 अक्टूबर 2020 तक ओपीडी सेवाओं के दौरान जिले में कुल 6378 टीबी रोगियों को चिन्हित किया गया। इनमें से 3559 रोगी सरकारी अस्पतालों व  2819 टीबी रोगी निजी अस्पतालों में चिह्नित किये गये। इन रोगियों को इलाज के साथ 500 रुपये प्रति माह इनके खाते में पोषण के लिए भी दिये जा रहे हैं।

क्षय रोग को जानिए

प्रत्येक 10 में से 07 व्यक्ति इसके बैक्टीरिया से प्रभावित है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर प्रभावित व्यक्ति टीबी की चपेट में आ जाता है। बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिये उनके पैदा होने के बाद अतिशीघ्र बीसीजी का टीका लगवाना आवश्यक है। टीबी का एक मरीज 10-15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। मधुमेह रोगी और एचआईवी पीड़ित में टीबी की आशंका बढ़ जाती है। ओवर डाइटिंग, ओवर एक्सरसाइज व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर टीबी की आशंका बढ़ जाती है। टीबी की दवा बीच में छोड़ देने से यह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी में बदल जाती है जिसका इलाज और कठिन हो जाता है। इसलिए इसका पूरा डोज लेना चाहिए। यह बीमारी टीबी मरीज के साथ बैठने से नहीं होती बल्कि उसके खांसी, छींक, खून व बलगम के संक्रमण से होती है।

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