14 जनसेवा केंद्र वसूल रहे थे अधिक रुपये, अब किए जाएंगे बंद
अधिक पैसे ऐंठने वाले जनसेवा केंद्र बंद होंगे। जांच में 14 केंद्र अपनी जगह पर नहीं चल रहे थे वहां अधिक रुपये भी वसूले जाने की पुष्टि के बाद प्रशासन ने आज से अन्य तहसीलों में स्थापित केंद्रों की जांच शुरू कर दी है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता : निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे ऐंठने वाले जनसेवा केंद्र बंद होंगे। सिद्धार्थनगर सदर तहसील की जांच में 14 केंद्र अपनी जगह पर नहीं चल रहे थे, वहां अधिक रुपये भी वसूले जाने की पुष्टि के बाद प्रशासन ने आज से अन्य तहसीलों में स्थापित केंद्रों की जांच शुरू कर दी है। जनसेवा केंद्रों पर शासन से निर्धारित रेट भी केंद्रों पर चस्पा नहीं किए जा रहे हैं, इससे उपभोक्ताओं को शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। इस शिकायत पर जिलाधिकारी दीपक मीणा ने संबंधित अधिकारी को जांच के निर्देश दिए थे। जिसमें अधिक धन वसूले जाने की पुष्टि हुई है।
14 जनसेवा केंद्रों की जांच ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर ने की
नौगढ़ तहसील क्षेत्र में संचालित 14 जन सेवा केंद्रों की जांच ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर अमरेंद्र दूबे और सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के जिला प्रबंधक अजय कुमार व राकेश कुमार ने की। टीम ने जांच में यह पाया कि जन सेवा केंद्र अपने निर्धारित स्थान पर कार्य नहीं कर रहे हैं। जहां इनका केंद्र आवंटित किया गया है, शासन से निर्धारित 30 रुपये प्रति प्रमाण पत्र के स्थान पर 50 से 80 रुपये लिए जा रहे हैं। इनके केंद्रों पर कोई रेट लिस्ट भी लगाई नहीं गई है। इन सभी 14 जन सेवा केंद्रों को निरस्त करने की संस्तुति की गई है। इस मामले में ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर अमरेंद्र दूबे ने बताया कि संबंधित के बारे में प्रोजेक्ट मैनेजर को भी अवगत करा दिया गया है। जिलाधिकारी ने जिले के सभी केंद्रों की जांच के आदेश दिए थे। आज से हर तहसीलों में स्थापित केंद्रों की जांच की जाएगी
आवाज उठाना पड़ने लगा भारी
शासन ने सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायकों की नियुक्ति के लिए फरमान जारी किया है। आनलाइन आवेदन के बाद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होगी। छह हजार रुपये मानदेय मिलेंगे। इस मामले में जन सेवा केंद्र से जुड़े लोगों ने पिछले दिनों जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कहा था कि नियुक्ति में उन्हें वरीयता दी जाय। सरकार ने इतना कम शुल्क निर्धारित किया है कि इस महंगाई के दौर में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। जन सेवा केंद्र से जुड़े सिद्धार्थ सिंह का कहना है कि पंचायत सहायक के रूप में जनसेवा केंद्र संचालकों की नियुक्ति हो जाने से कुछ तो बेरोजगारी दूर होगी। यदि ऐसा नहीं होगा तो केंद्रों के पास कोई काम नहीं पहुंचेंगे। मांग को दबाने के लिए ही केंदों की जांच पड़ताल शुरू की गई है।