गोरखपुर में लगाए गए 13 लाख पौधे नदियों को देंगे नया जीवन
किनारे की मिट्टी कटकर अक्सर नदियों में समाती है इससे नदियों की गहराई कम हो रही है। इससे उनका अस्तित्व भी खतरे में रहता है। नदियों के किनारे-किनारे 180 साइटों पर 13 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं।
गोरखपुर, जेएनएन : किनारे की मिट्टी कटकर अक्सर नदियों में समाती है, इससे नदियों की गहराई कम हो रही है। इससे उनका अस्तित्व भी खतरे में रहता है। नदियां उथली होने के कारण बारिश में अक्सर लोगों को बाढ़ का खतरा झेलना पड़ता है। इससे बचाव के लिए नदियों के किनारे-किनारे 180 साइटों पर 13 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। यह पौधे जैसे-जैसे बढ़ना शुरू होंगे, वह मिट्टियों को रोकेंगे। कटान रोकेंगे। इससे मंडल की प्रमुख नदी राप्ती, सरयू, आमी, रोहिन, नारायणी आदि को एक नई जिंदगी मिल सकेगी।
180 साइटों पर रोपित किए गए हैं पौधे
नदियों को पुर्नजीवित करने में वृक्षों की भूमिका अहम होती है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर पिछले वर्ष जुलाई में मंडल में सभी नदियों के किनारे उन स्थलों का चयन किया गया, जहां नदियां कटान कर रही थीं। इनमें से 180 साइटों पर पौधे रोपित किए गए हैं। वन विभाग का मानना कि विभाग द्वारा रोपे गये यह 13 लाख पौधे नदियों के निगहबान बनेंगे।
यह पौधे लगाए गए हैं
नदियों के किनारे लगाए गए पौधों में सर्वाधिक पौधे सागौन के हैं। इसके अलावा सहजन, बरगद, आम, पीपल, जामुन आदि के पौधे लगाए गए हैं। सागौन के अधिक पौधे रोपने का एक उद्देश्य यह भी है कि इससे ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। सहजन से कुपोषण रुकेगा। ऐसे में इन पौधों से ग्रामीणों को कई गुना लाभ होगा। खेतों की मिट्टी खेतों में ही रह जाएगी। ग्रामीणों को फल मिलेगा। नदियों के किनारे वाला क्षेत्र आक्सीजन जोन के रूप में विकसित होगा।
पौधों की निगरानी पर दिया जा रहा विशेष ध्यान
डीएफओ अविनाश कुमार ने बताया कि नदियों के किनारे 13 लाख पौधे रोपे गये गए हैं। इन पौधों की निगरानी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रत्येक रेंज से इनकी साप्ताहिक रिपोर्ट मांगी जाती है। जो पौधे क्षतिग्रस्त होने हैं, उनके स्थान पर दूसरे पौधे रोपे जाते हैं। इन पौधों को सुरक्षित रखने से नदियों की सुरक्षा हो सकेगी। नदियों के किनारे पक्षियों को भी एक ठिकाना मिल सकेगा।