12 करोड़ खाते में, इस कारण बच्‍चों को समय से नहीं मिल पाएगी ड्रेस Gorakhpur News

गोरखपुर में शिक्षा विभाग के खाते में पर्याप्त रूपये होने के बाद भी बच्चों को ड्रेस नहीं मिल पा रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 08:45 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 09:05 PM (IST)
12 करोड़ खाते में, इस कारण बच्‍चों को समय से नहीं मिल पाएगी ड्रेस Gorakhpur News
12 करोड़ खाते में, इस कारण बच्‍चों को समय से नहीं मिल पाएगी ड्रेस Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। सर्वशिक्षा अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों के बच्चों को दो जोड़ी निशुल्क ड्रेस दी जाती है। इसके लिए बाकायदा प्रति वर्ष जनपद में करीब 12 करोड़ रूपये से अधिक की रकम आती है। इस बार भी समय से धन तो आ गया है, लेकिन स्कूल में बच्चे अभी भी नहीं आ रहे हैं। ऐसे में उन्हें समय पर ड्रेस दे पाना विभाग के लिए मुश्किल होगा। कोरोना के कारण शिक्षक भी स्कूल के अलावा कहीं भी जाने से कतरा रहे हैं। ऐसे में बच्चों की नाप कब ली जाएगी और कब ड्रेस सिलने के लिए दिया जाएगा इसको लेकर संशय बरकरार है। यदि अभी से भी इसको लेकर तेजी दिखाते हैं तो बच्चों तक ड्रेस पहुंचते-पहुंचते ठंड शुरू हो जाएगा।

नियमत: हर साल जुलाई माह से स्कूलों में बच्चों को ड्रेस बंटने लगता है। इस बार कोरोना की वजह से पूरा मामला खटाई में पड़ गया है। हालांकि बच्चों के ड्रेस का पैसा आ चुका है, जिसे स्कूलों के खातों मे भेज भी दिया गया है। ड्रेस को लेकर शिक्षकों की सुस्ती बता रही है कि इस बार ठंड से पहले बच्चों को ड्रेस नहीं मिलने वाला।

सिलवाने से पहले ली जाती है बच्चों की नाप

बच्चों को ड्रेस सिलवाने से पहले उनकी नाप ली जाती है, लेकिन इस बार विद्यालय बंद होने के कारण नाप लेने में शिक्षकों को परेशानी हो रही है। ड्रेस को लेकर सरकार ने पहले ही निर्देश दे दिया है कि सभी बच्चों की नाप लेकर ही उनकी ड्रेस की सिलाई कराई जाए। इस बार इसके लिए महिलाओं के छोटे-छोटे स्वयं समूहों को इसमें शामिल करने को कहा गया है, ताकि उन्हें भी रोजगार मिल सके।

स्कूल ड्रेस के मद में पैसा आ चुका है। अवमुक्त धन स्कूलों को प्रेषित कर दिया गया है। जैसे ही बच्चे उपलब्ध होंगे उनका नाप लेकर स्कूल ड्रेस सिलवाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा, ताकि बच्चों को समय से ड्रेस वितरित किया जा सके। बिना नाप के ड्रेस सिलाने की शिकायत मिलने पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक व शिक्षक जिम्मेदार होंगे। - भूपेंद्र नारायण सिंह, बीएसए।

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