मजदूरी छोड़ अब स्नैक्स बना रही आधी-आबादी

गरीबी कोई अभिशाप नहीं है। ये व्यक्ति के अंदर छिपी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 10:05 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 10:05 PM (IST)
मजदूरी छोड़ अब स्नैक्स बना रही आधी-आबादी
मजदूरी छोड़ अब स्नैक्स बना रही आधी-आबादी

गोंडा : गरीबी कोई अभिशाप नहीं है। ये व्यक्ति के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने में मददगार साबित होती है। कुछ अलग करने की मुहिम ने मजदूरी करने वाली महिलाओं को स्वावलंबी बना दिया। अब वह घर बैठे स्नैक्स बनाकर कमाई कर रही हैं। दो माह में ही महिलाओं का ये कारोबार करीब सात लाख रुपये पहुंच गया है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हरमाह जिले में औसतन 40-50 क्विंटल स्नैक्स की आपूर्ति कर रही हैं। इंटरनेट मीडिया से दिखाया रास्ता

झंझरी ब्लॉक की ग्राम पंचायत चंदवतपुर में रहने वाली दीपा ने स्नैक्स का कारोबार कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पति खेती के जरिए परिवार की आजीविका चलाते थे। वह सिर्फ घर की दहलीज तक सीमित रहीं। एक दिन उनके पति इंटरनेट पर कुछ ढूंढ़ रहे थे। इसी बीच यू ट्यूब चैनल पर स्वयं सहायता समूह संचालन से जुड़ी एक वीडियो दिखी। वीडियो में महिलाएं अचार-मुरब्बा बना रही थीं। यहीं से कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली। दीपा ने बताया कि पहले गांव में दस महिलाओं को जानकारी देकर समूह से जुड़ने के लिए राजी किया।

इसके बाद ब्लॉक में एडीओ से संपर्क करके अक्टूबर में खाता खुलवाया। घर से थोड़ी दूर पर कुछ दिन पहले स्नैक्स बनाने का कार्य बंद हुआ था। संबंधित व्यक्ति से संपर्क करके पांच हजार रुपये में सामान खरीद लिया। नवंबर से स्नैक्स बनाकर पास की बाजारों में बेचने का कार्य शुरू किया। अब तक दो लाख रुपये का कारोबार हुआ है। इसमें से करीब 70 हजार रुपये की बचत हुई है। वहीं, नवाबगंज में भी महिलाएं अब स्नैक्स को कारोबार को बढ़ा रही हैं। जिले के चार स्वयं सहायता समूह की 32 महिलाएं इस कारोबार से जुड़ चुकी हैं। इनमें से कई महिलाएं मजदूरी कर रही थीं। -------------------

स्वयं सहायता समूह की महिलाएं स्नैक्स का अच्छा कार्य कर रही हैं। इससे न उन्हें सिर्फ घर बैठे रोजगार मिला है बल्कि, ये अन्य महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

- शशांक त्रिपाठी, सीडीओ गोंडा

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