करीब आ रही तबाही की घड़ी, हो सकती है मुसीबत खड़ी
तटबंधों की मरम्मत का कार्य बेहद धीमा बदलते मौसम ने बढ़ाया तनाव सिंचाई विभाग का समय से कार्य पूरा करने का दावा।
वरुण यादव, गोंडा
नदी के किनारे बसे गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को बाढ़ की त्रासदी से बचाने के लिए बनाया गया तटबंध ही उनके लिए मुसीबत बन गया है। तटबंध को मजबूत करने के लिए हरसाल न सिर्फ बजट जारी किया जाता है, हालांकि कागजों में इंतजाम के दावे भी भरपूर रहते हैं। बावजूद, इसके एक नियमित अंतराल पर ये तटबंध न सिर्फ टूटता है, बल्कि तबाही भी लेकर आता है।
इस बार भी तटबंध मरम्मत का कार्य धीमा होने से लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। वहीं, अब एक बार फिर मौसम अपना रंग बदलने लगा है। अधिशासी अभियंता बाढ़ कार्य खंड बीएन शुक्ल का कहना है कि तटबंधों की मरम्मत का कार्य चल रहा है, जिसे समय से पूरा कर लिया जाएगा।
कब बना था सकरौर-भिखारीपुर तटबंध :
कर्नलगंज व तरबगंज तहसील क्षेत्र की करीब एक लाख आबादी को बाढ़ से बचाने के लिए सकरौर-भिखारीपुर तटबंध का निर्माण वर्ष 2005-06 में किया गया। सिंचाई विभाग द्वारा 22.600 किलोमीटर की लंबाई में बनाए गए तटबंध पर सात करोड़ रुपये की लागत आई थी। इसके बनने से जहां हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि सुरक्षित हुई थी। वहीं, माझा क्षेत्र के लोगों को बाढ़ की समस्या से निजात मिली थी। मरम्मत में मनमानी व देखभाल में लापरवाही के कारण ये तटबंध कई बार टूट चुका है।
छह अगस्त को टूटा था तटबंध :
घाघरा व सरयू नदियों में आने वाली बाढ़ से बचाव के लिए बना भिखारीपुर-सकरौर तटबंध तरबगंज तहसील क्षेत्र में ऐली परसौली ग्राम पंचायत के विशुनपुरवा में छह अगस्त 2020 को कट गया था। इससे नदी का पानी गांवों में भर गया। इस त्रासदी कई लोग बेघर हो गए। हजारों बीघा फसल बर्बाद हो गई। अभी तक बाढ़ पीड़ित अपने रहने का ठिकाना दोबारा नहीं बना पाए हैं। उन्हें आवास के लिए कोई सरकारी मदद भी नहीं मिली।