बाढ़ ने सुख-चैन छीना, मुश्किल कर दिया जीना
खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं नदियां अंधेरे में रहने को मजबूर बाढ़ पीड़ित
जागरण टीम, गोंडा: कोई तटबंध पर डेरा जमाए हुए है तो कोई पानी में रहने को मजबूर है। राहत सामग्री तो दूर प्रकाश की भी व्यवस्था नहीं है। यहां लोगों को शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है। जलभराव के कारण फसलें नष्ट हो गई और अब बीमारियां पांव पसारने लगी है। बाढ़ की त्रासदी से परेशान लोगों का सुख-चैन सब छिन गया है। प्रशासन ने कुछ गांवों में राहत सामग्री का वितरण शुरू किया गया है।
शनिवार को घाघरा नदी के जलस्तर में तो कमी आई, लेकिन सरयू नदी में इजाफा हुआ।
तरबगंज: ग्राम पंचायत ब्योंदामाझा के सभी मजरे बाढ़ के कारण टापू बन गए हैं। यहां सड़कों के ऊपर से पानी बह रहा है और लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है। ग्राम प्रधान केशवराम यादव ने बताया कि बाढ़ सभी फसलें नष्ट हो गई हैं। पशुओं के चारे का संकट उत्पन्न हो गया है। लोग पशुओं के साथ सुरक्षित स्थान पर पलायन कर रहे हैं। यहां अब नाव ही आवागमन क सहारा है।
अमदहीबाजार: नदी का जलस्तर घट रहा है। नदी में कटान रुक गई है।
नवाबगंज: जैतपुर में सीएमओ डा. आरएस केसरी ने राहत केंद्र का निरीक्षण कर जानकारी ली। साकीपुर, दत्तनगर, गोकुला में बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है।
भंभुआ: एडीएम सुरेश कुमार सोनी व एसडीएम हीरालाल ने नकहरा के विशुनपुरवा का निरीक्षण किया। यहां नाव पर बच्चों को देखने पर एडीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने लेखपाल को नाव की निगरानी करने के साथ ही दोबारा बच्चों को घुमाने पर नाविक के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। एडीएम ने कहा कि तटबंध या बाढ़ शरणालय पर ठहरे हुए पीड़ितों को ही राहत किट देने की बात कही। 68 बाढ़ पीड़ितों को राहत किट का वितरण किया गया।
इनसेट
मजबूत किया जा रहा तटबंध
अधीक्षण अभियंता सिचाई पंचदशम मंडल त्रयंबक त्रिपाठी का कहना है कि नदियों का जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी है। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी खतरे के निशान से 55 व अयोध्या में सरयू नदी 57 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। घाघरा नदी में 3.72 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो रहा है। उन्होंने बताया कि कटान रुक गई है। तटबंध को मजबूत किया जा रहा है।