बदहाली के ट्रैक पर फंस गई विकास की गाड़ी
गोंडा आइए आपको जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर मनकापुर ब्लॉक लिए चलते हैं। यहां की मि
गोंडा: आइए, आपको जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर मनकापुर ब्लॉक लिए चलते हैं। यहां की मिट्टी ने सियासत को कई नुमाइंदे दिए हैं। यहां उद्योग के लिए आइटीआइ भी है और जनसुनवाई के लिए तहसील व थाने। इस क्षेत्र के गांवों में चीनी मिल भी संचालित है। बावजूद, इसके न तो कस्बे में विकास दिख रहा है और न ही गांवों में। बदहाल सड़कें विकास की दास्तां बयां कर रही हैं। ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी पर प्रशासक राज होने के बावजूद गांव में बुनियादी सुविधाओं की अभी दरकार है। जलनिकासी की व्यवस्था है और न ही सफाई के इंतजाम। मनवर नदी का पुनरुद्धार कार्य भी अधर में है। सरकारी योजनाओं के लाभ से पात्र दूर हैं। किसी को पेंशन तो किसी को आवास की दरकार है। विभागीय सूत्र के अनुसार पंचायतों ने बीते पांच वर्ष में विभिन्न योजनाओं से करीब 150 करोड़ रुपये खर्च किए हैं लेकिन, हालात जस के तस बने हुए हैं।
इनसेट
----किस योजना में क्या मिला लाभ
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन-12320
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत आवास-2688
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा गारंटी अधिनियम के तहत राशनकार्ड-40193
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत व्यक्तिगत शौचालय-33228 ----पहला वोट
मेरा नाम इस बार मतदाता सूची में शामिल हो गया है। पहली बार मैं पंचायत चुनाव में मतदान कर सकूंगा। स्वच्छ छवि के उम्मीदवार को ही समर्थन करुंगा।
- महेश कुमार, युवा मतदाता
सरकारी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के आधार पर मिलना चाहिए। अभी गांव में बुनियादी सुविधाओं की दरकार है।
- सुमित्रा, महिला
गांव में अभी भी विकास कार्य की दरकार है। कुछ मजरे ऐसे हैं जहां विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ।
- कैलाश, ग्रामीण गांव अभी बदहाली का शिकार है। बेसहारा पशु फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
- नंद कुमार पांडेय, किसान
विकास के नाम पर बीते पांच वर्ष में सिर्फ रस्म अदायगी हुई है। पात्र अभी भी सरकारी योजनाओं
के लाभ से वंचित हैं।
- अखिलेश मिश्र, ग्रामीण