पब्लिक पी रही आर्सेनिक वाला जल, समस्या का नहीं निकला कोई हल
सूर्य प्रताप शुक्ल कटराबाजार (गोंडा) आइए आपको कटराबाजार ब्लॉक लिए चलते हैं।
सूर्य प्रताप शुक्ल, कटराबाजार (गोंडा) : आइए, आपको कटराबाजार ब्लॉक लिए चलते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित इस ब्लॉक की कुर्सी सत्ता के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। ब्लॉक का भवन भगवा रंग में रंगा हुआ है। सियासी भंवर में ये कुर्सी ही नहीं, यहां के गांवों की तस्वीर भी एक जैसी ही रहती है। टेढ़ी नदी के तट पर बसे गांवों में पब्लिक को आर्सेनिक युक्त जल पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कुछ गांवों में पानी की टंकियां तो बनाई गई लेकिन, ये भी सिर्फ शोपीस बनकर रह गई। अतिक्रमण के चलते नदी का भी अस्तित्व खतरे में है। इसके पुनरुद्धार की योजना अभी कागज से बाहर नहीं निकल सकी है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो बीते पांच वर्ष में यहां विभिन्न योजनाओं से करीब 250 करोड़ रुपये खर्च हुए है । इनमें मनरेगा के 115 करोड़ रुपये शामिल हैं लेकिन, तस्वीर जस की तस बनी हुई है।
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ब्लॉक के मूलभूत आंकडे
कुल आबादी-212190
परिवार-33500
ग्राम पंचायत-78
मनरेगा जाबकार्ड-38829
सदस्य क्षेत्र पंचायत-106
सदस्य ग्राम पंचायत-1006
मतदान केंद्र-94
मतदेय स्थल-265
प्राथमिक स्कूल-140
उच्च प्राथमिक स्कूल-47
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र- 01
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-03 आयुर्वेदिक अस्पताल-02
पशु चिकित्सालय-03
गो-संरक्षण केंद्र-04
किस योजना में कितना मिला लाभ राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन-7279 निराश्रित महिला पेंशन-3298 दिव्यांग पेंशन-1806 व्यक्तिगत शौचालय-38210 सामुदायिक शौचालय-87 प्रधानमंत्री आवास-4869
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मेरा व्यक्तिगत मत है कि गांव के विकास के शिक्षित एवं सामाजिक मिलनसार व्यक्ति को ही पंचायत प्रतिनिधि चुनना चाहिए।
- राहुल तिवारी, युवा क्षेत्र में चार गो-संरक्षण केंद्र बने है। इसमें भी पशुओं की सीमित संख्या है। किसान छुट्टा पशुओं से परेशान हैं। इस ओर ध्यान देना जरूरी है। - दुर्गेश पांडेय, किसान क्षेत्र की मलिन बस्तियों तक सड़क, बिजली की सुविधा पहुंच गई है। अब गांवों में पाइपलाइन परियोजना की दरकार है।
- राजेश स्तोगी, व्यापारी
सरकारी योजनाओं के लाभ से अभी काफी संख्या में पात्र वंचित हैं। ऐसे में अभियान चलाकर जरूरतमंदों को योजना का लाभ दिलाना चाहिए।
- अर्जुन, एडवोकेट कोरोना संक्रमण के कारण करीब एक वर्ष तक स्कूल बंद रहे। अब स्कूल खुलने से बच्चों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है लेकिन, हमें अभी सतर्क रहने की जरूरत है।
- रमेश चंद्र वर्मा, शिक्षक