बैंकों से नहीं मिल रहा ऋण, स्वरोजगार की ओर कैसे बढ़े कदम

गोंडा बैंक में 145 पत्रावली फांक रही धूल चक्कर काटने को मजबूर हैं युवा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 11:33 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 11:33 PM (IST)
बैंकों से नहीं मिल रहा ऋण, स्वरोजगार की ओर कैसे बढ़े कदम
बैंकों से नहीं मिल रहा ऋण, स्वरोजगार की ओर कैसे बढ़े कदम

संसू, गोंडा : कोरोना काल में आए प्रवासियों ने स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाया है। होटल तो कोई प्रिटिग प्रेस व पशुपालन में भाग्य आजमा रहा है। सरकार भी ऐसे लोगों के लिए विभिन्न ऋण योजनाएं संचालित कर रही हैं। ताकि ये घर पर रहकर काम कर सकें, लेकिन इसमें बैंक अड़चन पैदा कर रहे हैं।

खादी ग्रामोद्योग बोर्ड व उद्योग केंद्र से भेजी गई ऋण फाइलें बैंकों में धूल फांक रही हैं। बैंक तरह-तरह के नियमों का हवाला देकर आवेदनों को अस्वीकृति कर दे रहे हैं। युवा भटकने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के साथ ही कई अन्य योजनाएं चल रही है। एक जिला एक उत्पाद जैसी महत्वपूर्ण योजना भी है। इसके अलावा पशुपालन के लिए भी ऋण दिया जाता है। इन सब के माध्यम से सरकार युवा व प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़ने की मुहिम चला रही है। प्रबंधकों की मनमानी सरकार व युवाओं की मंशा पर भारी पड़ रही है। वह उद्यम स्थापना के लिए चक्कर काट रहे हैं। कागजी कोरम पूरा करने के नाम पर दौड़ाया जा रहा है। स्थिति यह है कि जिला स्तर पर अनुमोदित फाइलों को भी शाखा प्रबंधक स्वीकृति नहीं प्रदान कर रहे हैं। जिला उद्योग केंद्र से विभिन्न योजनाओं की बैंकों को भेजी गई 145 फाइलें लंबित हैं। यही हाल, ग्रामोद्योग बोर्ड व पशुपालन विभाग के माध्यम से भेजी गई फाइलों का है। जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक अभिषेक रघुवंशी का कहना है कि शाखा प्रबंधकों को फाइलों के निस्तारण का निर्देश दिया गया है। जानकारी कर रहे हैं।

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बैंकों का काट रहे चक्कर

- बालपुर के सुभाष तिवारी प्रिटिग प्रेस लगाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के तहत आवेदन किया था। सुभाष का कहना है कि उनकी फाइल इंडियन बैंक की बालपुर शाखा को भेजी जा चुकी है। कई महीने से चक्कर काट रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसी तरह पैरौरी निवासी अनिल दुबे ने पशुपालन के लिए ऋण लेना चाहते हैं। बैंक को पत्रावली भेज दिया है। उनका कहना है कि एक वर्ष से बैंक का चक्कर काट रहे हैं।

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