काला नमक की खेती से महकेगी पूर्वाचल की माटी
किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही काला नमक धान
गोंडा : किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही काला नमक धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए कवायद शुरू हो गई है। पूर्वांचल की माटी को काला नमक धान की खेती से महकाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने ट्रायल शुरू कराया है। गोंडा समेत आठ जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों पर नई प्रजाति के बीज का शुरू ट्रायल किया जा रहा है। इन केंद्रों पर दस प्रजाति के बीज अलग-अलग बोए गए हैं। उत्पादन रिपोर्ट आने के बाद किस क्षेत्र के लिए कौन सी प्रजाति उपयुक्त है, उसे किसानों को देने की तैयारी है।
इन जिलों में हो रहा रिसर्च - गोंडा
- बस्ती
- गोरखपुर
- महराजगंज
- सिद्धार्थनगर
- देवरिया
- कुशीनगर
- संतकबीरनगर क्या है बौना प्रजाति की खासियत
कालानमक धान की खेती के लिए अलग-अलग भूमि पर उत्पादन का आकलन करने के लिए बौना प्रजाति की बीज का ट्रायल किया जा रहा है। बौना प्रजाति के पौधे की लंबाई छोटी होगी। इससे पौधे गिरेंगे नहीं। धान की बाली लंबी होने के साथ ही खुशबूदार रहेगी। इससे धान का उत्पादन भी बढ़ेगा। प्रत्येक बीज के तीन प्लाट
कृषि विज्ञान केंद्र में काला नमक धान के बीज की दस प्रजातियां दी गई हैं। प्रत्येक प्रजाति का बीज अलग-अलग तीन प्लाट में बोया गया है। उत्पादन के बाद अलग-अलग क्रॉप कटिग कराकर रिपोर्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को भेजी जाएगी। क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कालानमक धान के दस प्रकार के बीज प्रयोग के तौर पर कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में बोए गए हैं। उत्पादन के बाद रिपोर्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को भेजी जाएगी।
- डा. उपेंद्रनाथ सिंह, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र गोपालग्राम गोंडा