पार्वती-अरगा पक्षी विहार ने दिलाई गोंडा को अंतर राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान
वरुण यादव गोंडा पिकनिक स्पॉट के रूप में अरगा-पार्वती पक्षी विहार ने गोंडा को नई पहचान
वरुण यादव, गोंडा : पिकनिक स्पॉट के रूप में अरगा-पार्वती पक्षी विहार ने गोंडा को नई पहचान दिलाई है। अब विदेश में बैठे लोग भी रामसर साइट के जरिए पक्षी विहार की जानकारी हासिल कर लेते हैं। पर्यटकों को लुभाने के लिए अब पक्षी विहार को विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है। बर्ड सेंचुरी एंटीग्रेटेड डेवलपमेंट योजना के तहत करीब 90 लाख रुपये की योजना बनाई गई है। इससे मोटर बोट के साथ ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
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एक नजर में झील
- 12 हजार हेक्टेयर में फैली है टिकरी क्षेत्र की अरगा पार्वती झील
- 45 किलोमीटर दूर है जिला मुख्यालय से
- 09 किलोमीटर है क्षेत्रफल
- 09 गांवों से होकर गुजरती है झील
- सबसे ज्यादा वजीरगंज क्षेत्र भाता है विदेशी पक्षियों को।
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मध्य एशिया से आते हैं काज और चट्टा
- सर्दी के मौसम में विदेशी पक्षियों के अलावा सैकड़ों की तादाद में सारस पक्षी भी अपने जोड़े के साथ विचरण करने यहां आते हैं। तिब्बत से आने वाली पक्षियों में छोटी मुर्गाबी, नकटा, गिर्री व सुर्खाब, मध्य एशिया से आने वाले पक्षियों में काज व चट्टा प्रमुख हैं। इसकी निगरानी ड्रोन कैमरे से कराई जा रही है।
झील का है धार्मिक महत्व
- पार्वती-अरगा झील वैसे तो पक्षी विहार के नाम से जानी जाती है, मान्यता है कि ये माता पार्वती व भगवान महादेव के अटूट प्रेम की निशानी है। पार्वती झील ही नहीं, बल्कि इसके नाम से गांव भी बसा है।
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जिम्मेदार के बोल :
अरगा-पार्वती पक्षी विहार के विकास को लेकर प्रस्ताव तैयार करके उच्चाधिकारियों को भेजा गया है। बजट आने पर कार्य शुरू कराया जाएगा। ड्रोन से निगरानी कराई जा रही है।
- आरके शर्मा, क्षेत्राधिकारी अरगा-पार्वती पक्षी विहार गोंडा