इंसेफ्लाइटिस पर कैसे हो प्रहार, सिस्टम लाचार

योजना थी कि इंसेफ्लाइटिस के मरीजों को इलाज के लिए

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 10:10 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 10:10 PM (IST)
इंसेफ्लाइटिस पर कैसे हो प्रहार, सिस्टम लाचार
इंसेफ्लाइटिस पर कैसे हो प्रहार, सिस्टम लाचार

गोंडा: योजना थी कि इंसेफ्लाइटिस के मरीजों को इलाज के लिए भटकना न पड़े, उन्हें यहीं पर बेहतर इलाज मिले। इसके लिए जिला अस्पताल में अलग से पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया। 66 लाख रुपये की लागत से बनाए गए वार्ड के संचालन के लिए चिकित्सक व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद भी एक भी मरीज का इलाज तक नहीं हो सका है। यह हाल तब है जब वर्ष 2020 में एक्यूड इंसेफ्लाइटिस सिड्रोम के 23 मरीज निकलकर आए हैं। जिला अस्पताल परिसर में बनाए गए पीडियाट्रिक वार्ड के संचालन के लिए एक चिकित्सक के अतिरिक्त स्टॉफ नर्स व एलटी की तैनाती कर दी गई। यहां पर दस बेड की व्यवस्था है। इसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस किया गया है। वार्ड में अन्य आधुनिक उपकरणों का इंतजाम किया गया है। कई बार इसे शुरू करने की कवायद हुई। इसी बीच कोरोना संक्रमण शुरू हो गया। इसके बाद पीडियाट्रिक वार्ड को फीवर क्लीनिक बना दिया गया। यहां पर आने वाले लोगों की बुखार की जांच के लिए कर्मियों को लगा दिया गया।

उठे सवाल:

पीडियाट्रिक वार्ड में तैनात कर्मचारियों से दूसरा काम कराया जा रहा है। उनके वेतन पर भी अच्छी खासी रकम खर्च की जा रही है। ऐसा नहीं है कि जिले में इंसेफ्लाइटिस के मामले नहीं है। बीते साल मिले एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिड्रोम के सात मरीजों का इलाज लखनऊ, दो का इलाज गोरखपुर में कराया गया। सात मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में कराने के बाद भी उन्हें पीडियाट्रिक वार्ड में नहीं भर्ती किया गया। ---------------

पीडियाट्रिक वार्ड में एक और चिकित्सक की आवश्यकता बताई जा रही है। इस वार्ड में भर्ती होने लायक मरीज तो आने दीजिए, तब तो इलाज किया जाय।

डॉ. घनश्याम सिंह, प्रमुख अधीक्षक, जिला अस्पताल

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