निजी छोड़िए, एक भी सरकारी भवन में नहीं लग सका रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम
वरुण यादव गोंडा दोपहर के करीब डेढ़ बज रहे थे। अचानक मौसम का मिजाज बिगड़ गया। हल्की
वरुण यादव, गोंडा : दोपहर के करीब डेढ़ बज रहे थे। अचानक मौसम का मिजाज बिगड़ गया। हल्की हवाओं के साथ बारिश शुरू हो गई। विकास भवन में बारिश का पानी छत से पाइप के सहारे नीचे जमीन पर बह रहा था। यहां न तो बारिश के पानी का संचयन करने के लिए कोई इंतजाम था और न ही रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना। यही हाल, कलेक्ट्रेट, कृषि भवन व अन्य सरकारी दफ्तरों का भी है। यहां बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए ज्ञान तो बांटे जाते हैं लेकिन, एक भी रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना अभी नहीं हो सकी। गनीमत ये है कि गोंडा अभी सेफ जोन में है। शहर में भूजल स्तर से पांच से छह मीटर व गांवों में तीन-चार मीटर नीचे है।
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ऐसे बचाएं पानी
- जितने जल की जरूरत हो, सिर्फ उतना ही इस्तेमाल करें।
- पानी के इस्तेमाल के बाद नल को कसकर बंद कर दें।
- मंजन, बर्तन और कपड़े धोते समय नल को चलते रहने न दें।
- पानी लीक होने की स्थिति में प्लंबर को फौरन बुलाकर ठीक कराएं।
- ऐसी वाशिग मशीन का इस्तेमाल करें जिससे पानी की बचत हो।
- बाल्टी या बोतल में पानी बचने की स्थिति में उसे फेंकने के बजाय पौधों में डाल दें।
- फलों या सब्जियों को धोने के बाद उस पानी को क्यारियों व पौधों में डाल दें।
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ढाई लाख रुपये होगा खर्च
- भूगर्भ जल विभाग के अवर अभियंता अखिलेश कुमार ने बताया कि रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना के लिए भवन के छत का एरिया कम से कम 200 वर्ग मीटर होना चाहिए। इसपर करीब ढाई लाख रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि सिस्टम की स्थापना के लिए भूजल स्तर से कम से कम आठ मीटर नीचे होना चाहिए। गोंडा शहर में जलस्तर पांच से छह मीटर नीचे है। ये जिला सेफ जोन में है। अवर अभियंता ने स्वीकार किया कि जिले में अभी एक भी सरकारी व अर्द्ध सरकारी भवनों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना नहीं हो सकी है।
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जिम्मेदार के बोल :
जिले के सभी सरकारी व अर्द्ध सरकारी कार्यालयों में रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना के लिए अफसरों को निर्देश दिए गए हैं। संबंधित अधिकारियों से प्रत्येक माह की 25 तारीख तक प्रगति रिपोर्ट भी मांगी गई है।
- शशांक त्रिपाठी, सीडीओ गोंडा