कारगिल विजय दिवस आज: जख्मी विजय ने पहाड़ी पर लड़ी थी हौसले की जंग

नंदलाल तिवारी गोंडा 22 वर्ष पहले हुए कारगिल युद्ध में देश के दुश्मनों से लड़ने वाले विजय सिह

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 11:21 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 11:21 PM (IST)
कारगिल विजय दिवस आज:  जख्मी विजय ने पहाड़ी पर लड़ी थी हौसले की जंग
कारगिल विजय दिवस आज: जख्मी विजय ने पहाड़ी पर लड़ी थी हौसले की जंग

नंदलाल तिवारी, गोंडा : 22 वर्ष पहले हुए कारगिल युद्ध में देश के दुश्मनों से लड़ने वाले विजय सिंह कारगिल आज भी हर चुनौती से लड़ने को तैयार हैं। भारतीय सेना में नायक के पद पर कार्यरत रहे विजय ने वर्ष 1999 में कारगिल में देश के दुश्मनों से जंग लड़ी थी। दाहिने पैर में गंभीर जख्म होने के बाद भी वह 14 घंटे तक पहाड़ी पर पड़े रहे। उस वक्त वह सोच रहे थे कि अगर दुश्मन दिख जाए तो ग्रेनेड से उस पर वार कर दें, भले ही उन्हें भी क्यूं न शहीद होना पड़े। इसी शौर्य व बहादुरी के चलते इनके नाम के साथ उपनाम कारगिल भी जुड़ गया।

बेलसर ब्लॉक के ऐली परसौली गांव में जन्मे विजय सिंह उस वक्त बारामूला में 16 ग्रेनेडियर रेजीमेंट में बतौर नायक तैनात थे। एमएमजी, एजीएल व एके 47 कोर्स क्वालीफाइड विजय को यूनिट के साथ दराज सेक्टर भेजा गया। कारगिल हिल के पास टाइगर हिल के सामने व नीचे की ओर दराज सेक्टर था। टाइगर हिल सबसे ऊंची पहाड़ी है।

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कमांडिग आफीसर ने दिया था आदेश

- नौ जून 1999 को कश्मीर में कारगिल युद्ध शुरू हुआ। कमांडिग आफीसर व दलनायक मेजर अजीत सिंह के साथ युद्ध भूमि में उतरने का आदेश मिला। दराज सेक्टर में अधिकारियों ने नक्शे से वहां की भौगोलिक स्थिति के बारे में समझाया। एक माह की लड़ाई में उनकी यूनिट के 12 जवान शहीद हो गए व 22 जख्मी हुए। -------------

हिम्मत नहीं हारने दिया

- 5100 नंबर की पहाड़ी पर निर्णायक युद्ध चल रहा था। पहाड़ी के नीचे 16 ग्रेनेडियर यूनिट के जवान जवाबी फायर कर रहे थे। विजय सिंह फायर करते हुएआगे बढ़ रहे थे। कवर फायर के लिए उनके बगल इलाहाबाद के जवान अमर बहादुर थे। इसी बीच उनके दाहिने पैर में गोली लग गई। घायल होने का अहसास तब हुआ जब दाहिने पैर में चिपचिपाहट महसूस हुई। इसके बावजूद लड़ाई जारी रखी। इसीबीच दुश्मनों की ओर से हुई जवाबी कार्रवाई में अमर बहादुर शहीद हो गए।विजय 14 घंटे तक युद्ध मैदान में ही पड़े रहे। बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। तीन साल तक उनका इलाज चला।

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