फर्स्ट एड बाक्स न सुरक्षा उपकरण, जान से खेल रहे यातायात वाहन
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गोंडा : समय दोपहर 12 बजे। रोडवेज बस अड्डा के पास प्राइवेट बस में यात्रियों को बैठाया जा रहा था। इसका रंग रोडवेज बस की ही तरह था। एक बार में यह डिपो की बस लग रही थी। बस में यात्री सुरक्षा को लेकर जरूरी प्रबंध नहीं दिखा। सड़क सुरक्षा सप्ताह में जागरूकता फैलाने का दावा किया जा रहा है लेकिन, डग्गामार नियमों को धता बताकर फर्राटा भर रहे हैं। यही नहीं, बस में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाया जाता है। पेश है अजय पांडेय की रिपोर्ट
जिले में 250 से अधिक प्राइवेट बसें संचालित हो रही है। इसमें इसमें 50 स्लीपर बसें भी शामिल हैं। ये तरबगंज, मनकापुर, कर्नलगंज, गौरा चौकी, नवाबगंज, परसपुर से लोगों को दिल्ली, पंजाब व हरियाणा के विभिन्न शहरों तक जाती हैं। कमाई बढ़ाने के लिए बस में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाकर यात्रा कराया जाता है। अभी बाराबंकी में हादसा हुआ है लेकिन, उससे सबक नहीं लिया जा रहा है। इससे पहले भी कई बार दुर्घटना हो चुकी है। इसके बाद भी जिम्मेदार गंभीर नहीं है। मनमानी का खेल बदस्तूर जारी है। ये होनी चाहिए सुविधा
- जानकार बताते हैं कि रोडवेज व प्राइवेट बसों में स्पीड लिमिट डिवाइस लगा होना चाहिए। इमरजेंसी गेट होना चाहिए जिससे कि हादसा होने पर यात्री जान बचाकर भाग सके। अग्निशमन यंत्र के साथ ही फर्स्ट एड बाक्स की सुविधा हो। बस के पीछे लोहे की जाली नहीं लगाई जा सकती है। आपात स्थिति में शीशा तोड़ने के लिए हथौड़ा रखना अनिवार्य है। यहां डग्गामार इन नियमों को दरकिनार करके फर्राटा भरते हैं। इन पर रोक नहीं लग पा रही है। बोले जिम्मेदार
- देवीपाटन मंडल के संभागीय परिवहन अधिकारी अजय कुमार ने बताया कि प्रवर्तन दल को सक्रिय किया गया है। मंडल के सभी एआरटीओ को चेकिग अभियान चलाकर परमिट शर्ताें की जांच करने का निर्देश दिया गया है। यात्री सुविधाओं को दरकिनार करके संचालित होने वाली बसों को सीज करके आख्या तलब की गई है।