दूसरों को बांट रहे नसीहत, खुद ही नहीं समझते जल संचयन की जरूरत
संसू गोंडा चिराग तले अंधेरा। ये कहावत जल संचयन को लेकर सरकारी रेन वॉटिर हार्वेस्टि
संसू, गोंडा : चिराग तले अंधेरा। ये कहावत जल संचयन को लेकर सरकारी रेन वॉटिर हार्वेस्टिग की स्थापना में सरकारी दफ्तरों पर सटीक बैठ रही है। सरकार ने 250 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल में बने भवनों पर भले ही रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना को अनिवार्य किया हो लेकिन, जिले में ये व्यवस्था परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। ये हाल तब है जब मुख्य सचिव पर्यावरण संरक्षण को लेकर होने वाली वीडियो कांफ्रेंसिग में स्वयं समीक्षा करते है। यही नहीं, जल संचयन को लेकर अफसर मीटिंग में अधीनस्थों के साथ ही पब्लिक को ज्ञान बांटते नहीं थकते लेकिन, खुद के दफ्तर में वह जल संरक्षण को लेकर प्रयास करना शायद जरूरी नहीं समझते। आपको ये जानकर हैरत होगी कि जिले में एक भी ऐसा सरकारी भवन नहीं है जिस पर रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना हो। सीडीओ शशांक त्रिपाठी का कहना है कि सभी विभागों के अधिकारियों को रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना के लिए भूगर्भ जल विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करने का निर्देश दिया गया है।
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शहर में ये हैं सरकरी भवन
- विकास भवन
- कलेक्ट्रेट
- आयुक्त कार्यालय
- आइजी कार्यालय
- डीएम कार्यालय
- एसपी कार्यालय
- पुलिस लाइन
- सिचाई विभाग
- लोक निर्माण विभाग
- जिला अस्पताल
- जिला महिला अस्पताल
- कृषि विभाग
- डीआइओएस कार्यालय
- नगर पालिका परिषद कार्यालय
- बीएसए कार्यालय
- उप श्रमायुक्त कार्यालय
- उद्यान विभाग कार्यालय
- वन विभाग कार्यालय आदि।
जुलाई में मनाया जाता है भूजल सप्ताह
- लघु सिचाई व भूगर्भ जल विभाग हर साल जुलाई में भूजल सप्ताह मनाकर जन जागरूकता की औपचारिकता सिर्फ कागजों में निभा देता है। इसके बाद सालभर जल संचयन के मुद्दे पर अफसर खामोश रहते हैं। इनके खुद के कार्यालय में भी रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम की स्थापना नहीं हो सकी है।