पंचायत चुनाव रिपोर्ट कार्ड : शोपीस बनी पानी की टंकी, जलनिकासी के नहीं कोई इंतजाम
पूरनचंद गुप्त मसकनवा (गोंडा) आइए आपको छपिया ब्लॉक के गांवों की हकीकत से रुबरु करात
पूरनचंद गुप्त, मसकनवा (गोंडा) : आइए, आपको छपिया ब्लॉक के गांवों की हकीकत से रुबरु कराते हैं। पर्यटन की संभावनाएं संजोए इस ब्लॉक में महराज घनश्याम की जन्मस्थली भी है। स्वामी नारायण छपिया के नाम से इस क्षेत्र की पहचान है। यहां के गांवों में समस्याएं कम नहीं है। पेयजल के लिए न तो पाइपलाइन परियोजना बन सकी है और न ही बेसहारा पशुओं के लिए पर्याप्त संख्या में गो-आश्रय केंद्र। पतिजियाबुजुर्ग में नाला सफाई न होने से हरसाल किसानों की करीब 50 एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है। नीर निर्मल परियोजना के तहत बनाई गई पानी की टंकी सिर्फ शोपीस बनकर रह गई
है। विभागीय सूत्र के अनुसार बीते पांच वर्ष में विभिन्न योजनाओं से करीब 180 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं लेकिन, तस्वीर नहीं बदली।
इनसेट किस योजना में कितन मिला लाभ
उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन-11545,
राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन-3815,
निराश्रित महिला पेंशन- 2722, दिव्यांग पेंशन- 730,
राशनकार्ड-35261,
व्यक्तिगत शौचालय-29318,
सामुदायिक शौचालय-79,
प्रधानमंत्री आवास-1816। -पहला वोट
-सभी को अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए। मैं भी इस बार मतदान करूंगा। स्वच्छ छवि व शिक्षित उम्मीदवार मेरी पसंद है।
- अभय कमल, युवा
गांवों में अभी बुनियादी सुविधाओं का अकाल है। सरकारी योजनाओं का लाभ महिलाओं को समय से दिलाने के लिए प्रयास होने चाहिए।
- मीरा वर्मा, महिला - किसानों के खेतों में संपर्क मार्ग ठीक होना चाहिए। योजनाओं का लाभ यदि किसानों को समय से मिले तो उन्हें काफी मदद मिलेगी।
- अजय पांडेय, किसान
-कस्बे में दुकानें तो हैं लेकिन, बुनियादी सुविधा नहीं है। सफाई व्यवस्था चौपट होने के साथ ही गंदगी का अंबार लगा रहता है।
- विशाल गुप्त, व्यवसायी
बेसहारा पशु फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। क्षेत्र में बने गो-आश्रय केंद्र बदहाली के शिकार हैं। केंद्र संचालन की व्यवस्था में सुधार होना चाहिए।
- त्रिभुवन वर्मा, किसान