टपकती छतें-जर्जर भवन, जोखिम में जान
संसू गोंडा आइए आपको रेलवे कर्मचारियों के आवास ले चलते हैं। केंद्रीय विद्यालय के सामने स्थित
संसू, गोंडा: आइए आपको रेलवे कर्मचारियों के आवास ले चलते हैं। केंद्रीय विद्यालय के सामने स्थित आवास की छतें टपक रही है। ऐसे में कर्मचारियों ने छतों पर पन्नी डाल रखा है ताकि बारिश का पानी घर के अंदर न जा सके। यह स्थिति एक दो आवासों की नहीं बल्कि, अधिकांश आवासों में रह रहे कर्मचारियों को मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। किसी की छत टपक रही है तो किसी के छत का प्लास्टर टूटकर गिर रहा है।
रेलवे में करीब 800 आवास है। अधिकांश आवास अंग्रेजों के जमाने के बने हुए हैं। हर साल इसकी मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं लेकिन, सूरतेहाल बदहाल है। बुधवार की रात एक कर्मचारी के आवास की छत गिर गई, इसमें उसका परिवार बाल-बाल बच गया। इससे पहले स्टेशन के पश्चिमी छोर पर स्थित एक शौचालय की छत का प्लास्टर टूटकर गिर गया। शिकायत के बाद आवास सही कराने की बात कही गई लेकिन, 15 दिनों के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका। शौचालय का हाल बेहाल है। नालियां खुली हुई है, इससे मच्छरजनित बीमारियों के फैलने का डर है। इनसेट
गड्ढों भरे रास्ते से हो रहा आवागमन
-कस्तूरबा बालिका इंका को जाने वाली रोड पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। रेलवे अस्पताल से स्टेडियम को जाने वाली सड़क भी बदहाल है। ऐसे में लोगों को मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। आवासीय परिसर में पेयजल की भी समस्या से कर्मचारियों को मुश्किल हो रही है। पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ के मंत्री अभय सिंह का कहना है कि समस्याओं के बाबत अधिकारियों को अवगत कराया गया है। जिम्मेदार के बोल
- पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह का कहना है कि मामला जानकारी में आया है। रेलवे आवासों की मरम्मत को लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया है।