घाघरा नदी का जलस्तर घटा, बढ़ा कटान का खतरा

- एल्गिन ब्रिज पर खतरे के निशान से आठ सेंटीमीटर नीचे बह रही घाघरा अयोध्या में 13 सेंटी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 10:22 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 10:22 PM (IST)
घाघरा नदी का जलस्तर घटा, बढ़ा कटान का खतरा
घाघरा नदी का जलस्तर घटा, बढ़ा कटान का खतरा

- एल्गिन ब्रिज पर खतरे के निशान से आठ सेंटीमीटर नीचे बह रही घाघरा, अयोध्या में 13 सेंटीमीटर नीचे सरयू का जलस्तर

जागरण टीम, गोंडा : घाघरा नदी का जलस्तर एक बार फिर घटने लगा है। ऐसे में कटान का खतरा बढ़ गया है। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी खतरे के निशान से आठ सेंटीमीटर व अयोध्या में सरयू नदी 13 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। मौसम साफ होने से उमस बढ़ी है।

मंगलवार को सुबह से ही मौसम साफ रहा। तेज धूप निकलने के कारण उमस बढ़ गई। लोग गर्मी से बेहाल नजर आए। नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के कारण कटान का खतरा बढ़ गया है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी खतरे के निशान से अब सिर्फ आठ सेंटीमीटर नीचे है। वहीं, अयोध्या में सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 13 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गया है। घाघरा में गिरिजा, शारदा व सरयू बैराज से 3.13 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिला आपदा विशेषज्ञ राजेश कुमार का कहना है कि नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी है लेकिन, अभी बाढ़ का पानी किसी गांव के पास नहीं पहुंचा है। भंभुआ : घाघरा नदी ने कई लोगों को बेघर करके दाने दाने का मोहताज बना दिया। नकहरा गांव निवासी भगौती कई वर्ष से तटबंध पर छप्पर डालकर जिदगी गुजारने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक कोई सहायता नहीं मिल सकी है।

-------------

मंगलवार को नदियों का जलस्तर

नदी-खतरे का निशान-जलस्तर

एल्गिन ब्रिज पर घाघरा-106.07-105.99

अयोध्या में सरयू-92.73-92.60

घाघरा में डिस्चार्ज पानी-3:13 लाख क्यूसेक क्यूसेक

नोट : ये आंकड़े केंद्रीय जल आयोग से जुटाए गए हैं।

--------------

पहली बारिश में बह गई 97

बलरामपुर : 97 लाख रुपये की लागत से बनी सड़क पहली बारिश में ही बह गई। सदर ब्लाक के गौरी से नेवरी संपर्क मार्ग पर दो किलोमीटर तक सड़क निर्माण तीन माह पूर्व कराया गया था। पिछले दिनों हुई बारिश से सड़क बदहाल हो गई। सड़क की गिट्टियां बहने से जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। कई जगह सड़क बीच से कट गई। इससे करीब 15 गांव के लोगों का आवागमन प्रभावित है। जिस स्थान पर सड़क बही है वहां बिजली का खंभा रखकर ग्रामीण आवागमन करने को मजबूर हैं।

रमेश, राजकरन, शिवकुमार, रामलखन ने बताया कि विभागीय अधिकारी व ठेकेदार की मिलीभगत से 97 लाख रुपये से बनी सड़क पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। ग्रामीणों का कहना है कि मुख्यमंत्री जहां ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों की सूरत बदलने में लगे हैं, वहीं विभागीय अधिकारी व ठेकेदार गुणवत्ताविहीन सड़क निर्माण कर बजट को डकार रहे हैं। धरातल पर सड़कों की जांच न होने से ठेकेदारों पर कार्रवाई का डर भी नहीं है। एडीएम एके शुक्ल का कहना है कि सड़क निमार्ण की जांच कराकर संबंधित ठेकेदार व अभियंता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

chat bot
आपका साथी