रक्तदान दिवस :जिदगी बचाने के लिए रक्तदान कर रहे धरती के भगवान
संसू गोंडा रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है.. जिदगी और मौत के बीच जूझने वाले मरीजों की
संसू, गोंडा: रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है.. जिदगी और मौत के बीच जूझने वाले मरीजों की जिदगी बचाने में धरती के भगवान की मुहिम सराहनीय है। कई मरीजों की रगों में डॉक्टरों का खून दौड़ रहा है। वैसे कई और संगठन हैं, जो स्वैच्छिक तौर पर रक्तदान की मुहिम चला रहे हैं।
जिला महिला अस्पताल की चिकित्सक डॉ. सुवर्णा कुमार एक वर्ष के भीतर तीन बार रक्तदान कर चुकी हैं। दो बार मरीजों के लिए तथा एक बार शिविर में रक्तदान किया। उनका कहना है कि मरीजों की जिदगी से बढ़कर कुछ भी नहीं है। पैथोलॉजिस्ट डॉ. विशाल श्रीवास्तव, जिला कम्युनिटी प्रोसेस प्रबंधक डॉ. आरपी सिंह कई बार रक्तदान कर चुके हैं। जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास शेट्टी ने खुद रक्तदान करने के साथ ही अपने आवास पर शिविर तक लगवाया। सामाजिक संगठन से जुड़े डॉ. आलोक अग्रवाल व डॉ. अंजू अग्रवाल भी कई बार रक्तदान कर चुके हैं।
वैसे इसके अतिरिक्त द मॉब, सावन कृपाल रूहानी मिशन, सत्य सांई सेवा संगठन, बजरंग दल के साथ ही कई अन्य संगठनों के पदाधिकारी नियमित तौर पर रक्तदान करते हैं।
ब्लड बैंक के पीआरओ प्रवीण पांडेय ने बताया कि सोमवार को कटरा बाजार में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है।
क्या है प्रक्रिया
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-रक्तदान की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्तदाता को इसमें कोई खास मुश्किल नहीं है।
-18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकते हैं।
-पुरुष तीन और महिलाएं चार महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकते हैं।
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रक्तदान के फायदे
- हार्ट अटैक, मधुमेह, कैंसर की आशंका कम होती। शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा घटती है। आयरन की मात्रा शरीर में नियंत्रित रहती है। रक्तदान महादान है। इससे किसी की जिदगी को बचाने में आप सहयोग करते हैं। इनसेट
500 यूनिट की क्षमता 62 उपलब्धता
जिला अस्पताल में संचालित ब्लड बैंक की क्षमता 500 यूनिट की है। इसके सापेक्ष 62 यूनिट रक्त उपलब्ध है। ए निगेटिव ब्लड नहीं है।