दो बूंद जिंदगी की मुहिम के फिक्रमंद बने कसीम
गोंडा खिलखिलाते बचपन को अपंगता की बेड़िया न जकड़ लें शहर के राजेंद्रनगर निवासी कसीम सिद्द
गोंडा : खिलखिलाते बचपन को अपंगता की बेड़िया न जकड़ लें, शहर के राजेंद्रनगर निवासी कसीम सिद्दीकी इसको लेकर खासा फिक्रमंद हैं। इसी को लेकर वर्ष 1997 से मुहिम चला रहे। पोलियो मुक्त भारत का जब भी अभियान चलता है वह आगे दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य महकमा कसीम के जरिए प्रतिरोधी परिवारों को समझाकर करीब दो हजार बच्चों को पोलियो की दवा पिला चुका है।
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कैसे मिली प्रेरणा
- कसीम सिद्दीकी कहते हैं पोलियो अभिशाप के रूप में फैला था। हमने बचपन से ही मुहल्ले व शहर में कई बच्चों को शारीरिक रूप से दिव्याग होते देखा था। इससे बचने के लिए पहले खुद के बच्चों को दो बूंद जिंदगी की पिलवाई। इसके बाद आसपास के लोगों पर निगाह रखनी शुरू कर दी। जब वह टीम के जरिए दवा पिलाने से इन्कार कर देते तो मुझे बेहद अफसोस होता। ऐसे लोगों को सही रास्ते पर लाने का मकसद 22 साल से जारी है। अब तक व्यक्तिगत प्रयास से दो हजार बच्चों को दो बूंद जिंदगी की पिलवाई है। सीएमओ ने पहली बार किया सम्मानित
- कसीम सिद्दीकी को वर्ष 2010-11 में तत्कालीन सीएमओ डॉ. एमपी त्रिपाठी ने बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किया। इसके बाद उन्हें स्वास्थ्य कार्यक्रमों का प्रशिक्षक बना दिया गया।
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कैसे करते हैं जागरूक
- प्रतिरोधी परिवारों को समझाने के लिए कभी चौपाल लगाते हैं तो कभी समझाने में कामयाब हो जाते हैं।
- स्कूलों में आने वाले अभिभावकों को दवा से होने वाले फायदे के बारे में बताते हैं।
- शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को भी अब बतौर प्रशिक्षक जागरूक कर रहे हैं।
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कोट
कसीम सिद्दीकी का प्रयास सराहनीय है। पोलियो मुक्त भारत बनाने में उनकी भूमिका काफी अहम है। वह लोगों को जागरूक करने के साथ ही विभाग का पूरा सहयोग करते हैं।
- डॉ. मलिक आलमगीर, एसीएमओ गोंडा