कोरोना काल में गर्भवती रखें सेहत का ख्याल

घर से बाहर न निकलने की डॉक्टर ने दी सलाह लें पौष्टिक आहार संसू गोंडा गर्भावस्था

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 09:10 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 09:10 PM (IST)
कोरोना काल में गर्भवती रखें सेहत का ख्याल
कोरोना काल में गर्भवती रखें सेहत का ख्याल

घर से बाहर न निकलने की डॉक्टर ने दी सलाह, लें पौष्टिक आहार

संसू, गोंडा : गर्भावस्था वह समय है जब महिला को सबसे ज्यादा देखभाल और सावधानी की जरूरत होती है। गर्भवती जो खाती है और जिस तरह की जीवनशैली का पालन करती है उसका सीधा असर उसकी गर्भावस्था और होने वाले बच्चे पर पड़ता है। जिला महिला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपमाला का कहना है कि कोविड-19 ने हर व्यक्ति के जीने का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है। गर्भवती को इस संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में शारीरिक दूरी इस वायरस से बचने का सबसे कारगर तरीका है।

डॉ. माधुरी त्रिपाठी का कहना है कि हर गर्भवती को समय-समय पर स्वास्थ्य जांच एवं चिकित्सीय परामर्श की आवश्यकता होती है लेकिन, कोरोना संक्रमण के इस दौर में गर्भवती का घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है। आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी के अलावा चिकित्सक से जानकारी लेती रहें।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित कुमार का कहना है कि मौसमी फल, हरी सब्जी खासकर पत्तेदार, दूध, दही, गुड़-चना, दलिया व पोषाहार को दैनिक भोजन में शामिल करें। हार्मोनल बदलावों के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। ऐसे में उनमें तनाव, डिप्रेशन, एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएं हो जाती हैं। इस दौरान स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। गर्भवती बरतें ये सावधानियां

-शारीरिक दूरी और साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें

-गरारे करें, गरम पानी का भाप लें और गुनगुना पानी पिएं

-पर्याप्त पोषण लें और आहार में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं

-अस्पताल जाएं तो सतर्क रहें और आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करें

-दिन में दो घंटा व रात में सात से आठ घंटे की नींद लें

-खाली समय में किताब पढ़ें या संगीत सुन सकती हैं निश्शुल्क हैं सेवाएं

- परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल एसीएमओ डॉ. एपी सिंह का कहना है कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम व जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए सभी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह निश्शुल्क हैं। गर्भावस्था से लेकर शिशु जन्म और उसके बाद शिशु के एक वर्ष पूरा होने तक जच्चा-बच्चा के इलाज पर होने वाले खर्चों का भुगतान योजना के तहत किया जाता है।

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