कोरोना काल में लिख डाली किताब, आनलाइन कर रहे कविता पाठ
कोरोना संकट के बावजूद साहित्य की दुनिया में गतिविधियां चलती रहीं।
गोंडा: कोरोना संकट के बावजूद साहित्य की दुनिया में गतिविधियां चलती रहीं। साहित्यकारों ने गांव से लेकर शहर के हालात, सामाजिक सरोकार, आधी आबादी के हक पर खूब लेखनी चलाई। तीन साहित्यकारों ने इस अवधि में किताबें लिख डालीं। अन्य साहित्यकार आनलाइन गतिविधियों के माध्यम से काव्य पाठ व कवि सम्मेलनों में अपनी सक्रिय सहभागिता दर्ज कराते रहे।
सिविल लाइंस निवासी साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित डा. सूर्यपाल सिंह ने मलयालम विशेषांक प्रकाशित किया। इसमें केरल, लक्षद्वीप, तमिलनाडु व कर्नाटक के सीमांत जनपदों के लोगों की यह समृद्ध भाषा है। प्रवासी भारतीयों में भी इसकी पकड़ मजबूत है। विशेषांक में उन्होंने इस भाषा के महात्मय से परिचय कराया। वर्ष 1975 से अब तक उनकी बीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
जानकीनगर निवासी रिटायर्ड बैंक अधिकारी यज्ञराम मिश्र यज्ञेश ने कोरोना संकट में चलें गांव की ओर पुस्तक की रचना की है। इसके माध्यम से उन्होंने गांव के हालात पर फोकस किया है। गांव में भी शहरी सभ्यता की पैठ पर उन्होंने काव्य के माध्यम से प्रकाश डाला है। पंतनगर निवासी फुलवारी स्कूल की प्रबंधक नीता सिंह ने लाकडाउन में स्कूल बंद होने पर साहित्य से नाता जोड़ा। उन्होंने काव्य स्पंदन सहित दो पुस्तकें लिख डाली। इसके अतिरिक्त वह आनलाइन साहित्यिक गतिविधियों में भी सक्रिय हैं। आनलाइन माध्यम का लिया सहारा
सहायक डाक अधीक्षक किरन सिंह आनलाइन माध्यम से काव्य जगत की खामोशी को तोड़ रही है। इसके अतिरिक्त ज्योतिमा शुक्ला, वाटिका कंवल, डा. उमा सिंह, परीक्षित तिवारी भी साहित्य में नाम रोशन कर रहे हैं। डा. शालिनी शुक्ला अपनी रचनाओं के जरिए आम आदमी की बात कर रही है। कई अन्य युवा साहित्यकार साहित्य की दुनिया में अपनी दमदार उपस्थिति बनाए हुए हैं।