खुद की थाली में नहीं, कटोरी में खिलाएं बच्चों को आहार

गोंडा : बच्चों को सही पोषण मिले, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें अलग से कटोरी और चम्मच से आहार दिया जाए।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Sep 2019 10:58 PM (IST) Updated:Sat, 07 Sep 2019 06:21 AM (IST)
खुद की थाली में नहीं, कटोरी  में खिलाएं बच्चों को आहार
खुद की थाली में नहीं, कटोरी में खिलाएं बच्चों को आहार

गोंडा : बच्चों को सही पोषण मिले, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें अलग से कटोरी और चम्मच से आहार दिया जाए। परिवार के सदस्यों की थाली से खाना खिलाने की व्यवस्था बदलनी होगी। कारण इस तरह से बच्चों का पेट नहीं भर पाता।

जिला पोषण विशेषज्ञ डॉ. अमित त्रिपाठी ने बताया कि छह माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को अक्सर परिवार के सदस्य अपनी थाली में ही खाना खिलाते हैं। इससे इस बात का ठीक से अनुमान नहीं लगा पाता किबच्चे का पेट भरा है अथवा नहीं। इस उम्र में बच्चे चंचल होते हैं और थोड़ा आहार लेने के बाद वह खेलने में व्यस्त हो जाते हैं। इस दौरान परिवार के सदस्य अपनी थाली का खाना खा लेते हैं लेकिन बच्चे को पूरा आहार नहीं मिल पाता है। यह स्थिति लगातार रहने से बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है।

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क्या कहते हैं आंकड़े

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 के अनुसार जनपद गोंडा में पांच वर्ष तक के 56.9 फीसद बच्चों की लंबाई उनके उम्र के अनुसार कम है। 38.6 फीसद बच्चों का वजन उनके उम्र के अनुसार कम है। 9.8 फीसद ऐसे बच्चे हैं, जिनका वजन उनके लंबाई के अनुसार कम है।

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- कटोरी, चम्मच से बच्चों को पर्याप्त मात्रा में आहार मिलता है। एनआरसी के प्रभारी डॉ. अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि छह माह से आठ माह तक के बच्चे को अलग से कटोरी में भोजन दें, दिन में दो बार आधी-आधी कटोरी ( 250 ग्राम की कटोरी) आहार एवं एक से दो बार पोषक नाश्ता भी दें। गाढ़ा दलिया और अच्छी तरह से मसले हुए खाने से शुरुआत करें।

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