पराली जलाने से बचने के लिए एसएसएमएस का होगा प्रयोग

कसानों को कृषि में पराली जलाने से होने वाले नुकसान से

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 04:44 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 04:44 PM (IST)
पराली जलाने से बचने के लिए एसएसएमएस का होगा प्रयोग
पराली जलाने से बचने के लिए एसएसएमएस का होगा प्रयोग

जागरण संवाददाता, गहमर (गाजीपुर) : किसानों को कृषि में पराली जलाने से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए धान की कटाई के समय कंबाइन हार्वेस्टर मशीन के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएसएमएस) लगाया जाएगा। इससे किसानों की पराली धान कटाई के समय ही छोटे-छोटे टुकड़ों में कट कर भूसा बन जाएगी, जिससे किसानों को पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को अनुदान पर यंत्र भी उपलब्ध कराएं जांएगे।

कृषि विभाग द्वारा पराली जलाने से खेतों में मित्र कीटों व पर्यावरण के नुकसान को देखते हुए किसानों को प्रबंधन के लिए अनुदान पर न केवल कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे, बल्कि प्रबंधन के उपाय भी सुझाए जाएंगे। धान की कटाई के समय सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग न करने पर कटाई के बाद फसल प्रबंधन के यंत्रों जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, मल्चर आदि का प्रयोग खेत में अवश्य किया जाएगा। क्राप रीपर, रीपर कम बाइंडर, रेक व बेलर का प्रयोग किया जाएगा। तकनीकी सहायक विकास अधिकारी इंद्रेश वर्मा ने कहा कि पराली जलाने पर कार्रवाई का प्रविधान है। एनजीटी के आदेश पर इस पर नजर रखी जाती है। किसानों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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शीघ्र सड़ाने में मददगार है

यूरिया व पानी का छिड़काव

पराली का उपयोग पशु चारा, कंपोस्ट खाद बनाने, बायो कोल, बायो फ्यूल व सीबीजी आदि में किया जाएगा। खेतों में फसल अवशेष को शीघ्र सड़ाने के लिए पानी भरकर यूरिया का छिड़काव भी किया जा सकता है। इससे फसल अवशेष खाद के रूप में परिवर्तित हो जाती है। किसानों को खेत में सामुदायिक तौर पर कंपोस्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

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