सामान्य वर्ग का एक भी निवास नहीं, सूची में संख्या सैकड़ों की

जागरण संवाददाता गाजीपुर आरक्षण में गड़बड़ियों की भरमार है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 03:30 PM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 03:30 PM (IST)
सामान्य वर्ग का एक भी निवास नहीं, सूची में संख्या सैकड़ों की
सामान्य वर्ग का एक भी निवास नहीं, सूची में संख्या सैकड़ों की

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : आरक्षण में गड़बड़ियों की भरमार है। सदर ब्लाक के न्याय पंचायत डिलिया के चकइसा उर्फ बकराबाद को बतौर बानगी लिया जा सकता है। जहां सामान्य वर्ग का एक भी व्यक्ति नहीं निवास करता लेकिन, संख्या दर्शाई गई है सैकड़ों में। विडंबना यह कि गलती स्वीकारते हुए इसे नियमानुसार सुधारने की बजाय जिम्मेदारों द्वारा यह कहा जा रहा है कि 2015 में इस पर क्यों आपत्ति नहीं की गई।

वर्तमान पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों की आरक्षण सूची को तैयार करते समय 2015 के न्याय पंचायत की तैयार की गई जनसंख्या सूची के आंकड़े को ध्यान में रखा गया है। इसमें बहुत सारी गलतियां देखने को मिल रही हैं। सदर ब्लाक के न्याय पंचायत डिलिया के चकइसा उर्फ बकराबाद की जनसंख्या 1443 दर्शाई गई है। इसमें पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 865, सामान्य 577, अनुसूचित जाति 283 हैं, जबकि इस ग्राम सभा में एक भी सामान्य वर्ग के लोगों का निवास नहीं है। 2015 के पहले यह ग्राम सभा महराजगंज ग्राम पंचायत में जुड़ा हुआ था। 2015 के परिसीमन में इस ग्राम सभा को ग्राम पंचायत महराजगंज से अलग कर एक नया ग्राम सभा बना दिया गया। जब यह ग्राम सभा महराजगंज में था तो उस समय उस ग्राम सभा में सामान्य वर्ग के लोग निवास करते थे। अब ग्राम सभा के अलग परिसीमन होने के बाद इस ग्राम सभा में कोई भी सामान्य वर्ग का निवास नहीं है। बावजूद इसके सदर विकासखंड के ग्राम पंचायतवार कुल जनसंख्या की सूची में 69 नंबर पर डिलिया न्याय पंचायत के चकइसा उर्फ बकराबाद की जनसंख्या में सामान्य वर्ग के 577 की जनसंख्या दर्शाई गई है। यह सूची बिना जमीनी जांच किए हवाई आंकड़े के आधार पर तैयार है। इससे अन्य दावेदारों में रोष व्याप्त है। पिछले पंचायत चुनाव में यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी। चक्रानुसार यह सीट इस बार पिछड़ा महिला के लिए आरक्षित होनी चाहिए थी। यह तो महज एक उदाहरण मात्र है। 2015 की सूची की जांच कर दी जाए तो जिले में अनेक अनियमितताएं मिलेंगी।

-यह आरक्षण 2015 के न्यायपंचायत की तैयार की गई सूची के आधार पर किया गया है। 2015 में इस सूची पर एक बार पंचायत चुनाव हो चुका है। उस समय जब किसी ने कोई आपत्ति नहीं की तब इसमें कोई संशोधन कैसे होगा। फिलहाल शिकायत पड़ेगी तो देखा जाएगा।

-रमेश उपाध्याय, जिला पंचायत राजअधिकारी।

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