नरसिंहपुर से बांठा तक 40 वर्षो से नहर बेपानी

जागरण संवाददाता भांवरकोल (गाजीपुर) वीरपुर पंप नहर को पाटकर नरसिंहपुर के पास रास्ता बना पाट दिया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 04:55 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 04:55 PM (IST)
नरसिंहपुर से बांठा तक 40 वर्षो से नहर बेपानी
नरसिंहपुर से बांठा तक 40 वर्षो से नहर बेपानी

जागरण संवाददाता, भांवरकोल (गाजीपुर) : वीरपुर पंप नहर को पाटकर नरसिंहपुर के पास रास्ता बना दिया गया है। वहीं धनेठा केपास नहर में नाबदान का पानी इकट्ठा होता है। ऐसे में टेल तक पानी पहुंचने की उम्मीद लगाना ही बेकार है। सबसे खराब स्थिति नरसिंहपुर से बांठा तक है। यहां 40 वर्षों से अधिक समय से नहर में पानी नहीं पहुंचा। नरसिंहपुर, धनेठा, बांठा सहित कई गांवों के किसानों के लिए यह नहर पूरी तरह अनुपयोगी साबित हो रही है।

क्षेत्र के लगभग 2800 हेक्टेयर भूमि की सिचाई के लिए वर्ष 1972 में 50 क्यूसेक क्षमता वाली लगभग साढ़े बारह किलोमीटर लंबी वीरपुर पंप नहर का निर्माण कराया गया। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण सफाई व मरम्मत के अभाव में मुख्य नहर और उससे संबंधित तरांव वंशी व डोडरपुर माइनर में टेल तक पानी नहीं पहुंचता है। खरीफ की खेती के समय तो आधे से अधिक दूरी तक नहर सूखी ही रहती है। रबी की खेती के समय दो चार बार पानी मुख्य नहर में राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के उत्तर तेतरिया तक पहुंचता है। कुछ किसान नहर काटकर या पाइप लगाकर पानी ले रहे हैं।

सिचाई की सुविधा से वंचित

जनप्रतिनिधियों व विभागीय उदासीनता के कारण वीरपुर पंप नहर का पानी टेल तक नहीं पहुंचता है। कई गांवों के किसान सिचाई सुविधा से वंचित हैं। ऐसे में निजी नलकूप से फसलों की सिचाई को विवश हैं। हर वर्ष सफाई के नाम पर सरकारी धन का बंदरबांट हो जाता है। डीजल इंजन से करते हैं सिचाई

आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद नहर में पानी नहीं आने के कारण मुझे अपने खेत में बोरिग कराकर डीजल इंजन लगाना पड़ा। इससे सिचाई काफी मंहगी पड़ती है। शिकायत पर अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। -बसंत गिरि, नसीरपुर। नहर में नहीं आता पानी

मठिया नहर के पास मात्र कुछ दूरी पर मेरा तीन बीघा खेत है। जबसे मैंने होश संभाला, यहां कभी नहर में पानी नहीं देखा। सिचाई के बिना खेती तो हो नहीं सकती। मजबूर होकर निजी बोरिग पर डीजल इंजन लगाकर खेत की सिचाई करनी पड़ रही है। -अरविद राय, नरसिंहपुर। भगवान भरोसे होती है खेती

लगभग साढ़े चार बीघा का मेरा चक नहर के बिल्कुल समीप है। सिचाई के अभाव में इस क्षेत्र में भगवान भरोसे ही चना, मटर, मसूर, जौ और गेहूं की खेती की जाती थी। लगभग 40 वर्षों से नहर में पानी नहीं आ रहा है। जनप्रतिनिधि व अधिकारी उदासीन बने हैं।- धूपन सिंह यादव, पूर्व ग्राम प्रधान धनेठा। ध्यान नहीं देते अधिकारी

नहर में हम लोगों का कुछ खेत भी गया है। आज तक लोगों को मुआवजा भी नहीं मिल सका है। जब से ध्यान है नहर में पानी नहीं आया। मजबूर होकर निजी नलकूप लगाना पड़ा। मांचा में इस साल अब दो चार दिनों से नहर में पानी आया है लेकिन कुलाबा नहीं होने से बेकार है। - प्रजेश कुमार राय, मांचा।

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