मासूम की आंखें खुलीं तब तक थम चुकी थीं मां की सांसें

नौ माह तक दर्द झेलकर जो मां अपने कलेजे के टुकड़े को पेट में पाली, वह बेटे का मुंह देखे बिना ही हमेशा के लिए सो गई। मासूम की आंखें खुली तो मां की सांसे थम चुकी थी। उस नन्हीं जान को भी शायद इसका आभास हो गया था। जन्म के काफी देर तक वह रोता रहा। दुनिया में आने के बाद उस मासूम को मां का आंचल नसीब नहीं हुआ तो लोगों का गुस्सा स्वास्थ्य कर्मियों पर भड़क गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Nov 2018 09:38 PM (IST) Updated:Thu, 01 Nov 2018 09:38 PM (IST)
मासूम की आंखें खुलीं तब तक थम चुकी थीं मां की सांसें
मासूम की आंखें खुलीं तब तक थम चुकी थीं मां की सांसें

जासं, गाजीपुर : नौ माह तक जिस मां ने कलेजे के टुकड़े को तमाम दर्द के साथ पेट में पाला वह बेटे का मुंह देखे बिना ही हमेशा के लिए सो गई। मासूम की आंखें खुली तो मां की सांसें थम चुकीं थीं। जन्म के काफी देर तक बच्चा रोता रहा तो बरबस ही लोग बोल उठे जैसे अबोध को भी मां की मौत का अहसास हो चला हो। बहलहाल, दुनिया में आने के बाद उस मासूम को मां का आंचल नसीब नहीं हुआ तो लोगों का गुस्सा स्वास्थ्य कर्मियों पर भड़क गया।

प्रसव के दौरान प्रसूता की मौत का जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है। ऐसे कई मामला आज भी स्वास्थ्य महकमा के ठंडे बस्ते में पड़े हैं। कोई ऐसी घटना होती है तो शुरू में स्वास्थ्य महकमा दिखावे के लिए बड़ी-बड़ी बातें करता है मगर समय बीतने के साथ ही मामले को ठंडे बस्ता में डाल देता है। पीड़ित न्याय के लिए चक्कर काटते-काटते थक जाता है और चुप्पी साधने में ही भलाई समझता है। अब सवाल यह है कि आखिर कब तक लोगों की जान लेता रहेगा महकमा। भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले चिकित्सक अगर यही करते रहेंगे तो उनपर से भी लोगों का भरोसा उठ जाएगा। अब इसी नन्हीं जान को ले लीजिए, जिसे दुनिया में आते ही उसके सिर से मां का आंचल उठ गया। उसके रगों में मां के दूध की एक बूंद भी नहीं गई और वह दुनिया को अलविदा कह दी। मां की मौत से बेटा तो अनाथ हुआ ही एक पति की भी सारी दुनिया लुट गई। घरवालों को तो एक ही ¨चता सता रही है, अब कैसे होगी बेटे की परवरिश, कौन रात भर उसकी देखभाल करेगा। रोएगा तो कौन दूध पिलाएगा, अंगुली पकड़कर उसे कौन चलना सिखाएगा। उस अबोध मासूम की हर खुशी तो स्वास्थ्य महकमे ने छीन लिया।

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