बच्चों के खाते में आएगी ड्रेस, जूता और बैग की धनराशि

परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को ड्रेस जूता बैग व स्वेटर अब विभाग।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 06:13 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 06:13 PM (IST)
बच्चों के खाते में आएगी ड्रेस, जूता और बैग की धनराशि
बच्चों के खाते में आएगी ड्रेस, जूता और बैग की धनराशि

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को ड्रेस, जूता, बैग व स्वेटर अब विभाग उपलब्ध नहीं कराएगा। इसके लिए उनके अभिभावकों के खाते में धन भेजा जाएगा, ताकि बच्चे अपनी साइज व मनपसंद के सामान खरीद सकें। जिले में संचालित 2269 परिषदीय विद्यालयों में लगभग 2.80 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। सभी बच्चों का डाटा बैंक खाता नंबर सहित विभाग के पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। अगस्त माह में ही ड्रेस का पैसा भेजने की तैयारी है।

प्रत्येक बच्चे को मिलेंगे 1046 रुपये

:नए नियम के तहत प्रत्येक बच्चे को 1046 रुपये मिलेंगे। इसमें छह सौ रुपये की यूनिफार्म, 200 रुपये का स्वेटर, 135 रुपये के जूते, 21 रुपये के मौजे और 100 रुपये का स्कूल बैग का पैसा शामिल है। यदि सरकार की कोशिश पूरी होती है, तो बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के खाते में हर साल इतने रुपये आना शुरू हो जाएंगे।

---- अब तक थी यह प्रक्रिया

: अब तक राज्य सरकार प्रत्येक विद्यार्थी को निश्शुल्क दो जोड़ी यूनिफार्म, एक जोड़ी जूता, स्वेटर, जूते-मोजे और स्कूल बैग उपलब्ध कराती रही है। इस पर करोड़ों रुपये खर्च होते थे लेकिन सामान समय से नहीं पहुंच पाते थे। वर्तमान शैक्षिक सत्र में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से अभिभावकों के खातों में धनराशि भेजने की तैयारी है। हालांकि पाठ्यपुस्तकों और मिड डे मील की व्यवस्था पहले की तरह ही रहेगी।

---- दूर होगी अभिभावकों की शिकायत

: इस सारी कवायद का उद्देश्य अभिभावकों की उस शिकायत को दूर करना है, जिसमें वह इन सभी सामग्री की घटिया क्वालिटी की शिकायत करते हैं। उनके खाते में पैसा आने से मंशा है कि वह अपने बच्चों के लिए उत्कृष्ट सामान खरीदेंगे। इससे कमीशनखोरी जैसी शिकायतों से भी छुटकारा मिलेगा। बच्चों को समय से सामान उपलब्ध होने पर वह भी नियमित रूप से पढ़ पाएंगे।

---- : ड्रेस, जूता, बैग व स्वेटर अब विभाग उपलब्ध नहीं कराएगा। इसके लिए उनके खाते में सभी सामानों का पैसा भेजा जाएगा। अभिभावक खुद इसकी खरीदारी करेंगे। फिलहाल सभी पंजीकृत बच्चों का डाटा प्रेरणा एप पर अपलोड किया जा रहा है।

- हेमंत राव, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी।

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