नदी को माफियाओं से मुक्त कराने की मांग को लेकर किसानों का अनशन
जागरण संवाददाता लौवाडीह(गाजीपुर) मंगई नदी में लगे जाल को हटाने और मुआवजा की मांग का
जागरण संवाददाता, लौवाडीह(गाजीपुर) : मंगई नदी में लगे जाल को हटाने और मुआवजा की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन तेज हो गया है। मंगई नदी को मछली माफियाओं से मुक्त कराने की मांगको लेकर किसान अनशनरत हैं।
आमरण अनशन लगातार चौथे दिन रविवार को भी जारी रहा। किसानों ने प्रशासन की सद्बुद्धि के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ कराया। अनशन को किसानों का भरपूर समर्थन मिल रहा है और बड़ी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं। रविवार को लट्ठूडीह में चल रहे धरने को समर्थन देने पहुंचे भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य बिजेंद्र राय ने कहा कि यह सरकार किसानों की है और किसानों के लिए सदैव तत्पर रहेगी। शीघ्र ही उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा।
किसानों का कहना है कि यहां के प्रशासन को कहीं भी जाल और अवरोध नहीं दिखायी दे रहा है और न ही किसानों का उन्हें नुकसान ही दिख रहा है, तभी तो इस क्षेत्र के गांव को बाढ़ग्रस्त घोषित नहीं किया गया है। प्रशासन को सद्बुद्धि आए, इसलिए आमरण अनशन के साथ यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।
समिति के संयोजक राजेश राय बागी ने कहा कि प्रशासन चंद मछली माफियाओं को बचाने के लिए 15 हजार किसानों के रोजी-रोटी के साथ खिलवाड़ कर रहा है, जिसे किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे। भाजपा किसान नेता विनोद राय ने कहा कि हमें
किसी विधायक या मंत्री के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। हम लोग भाजपा के लिए जीने मरने वाले कार्यकर्ता है, लेकिन हम सबसे पहले किसान हैं। जब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो जाता, यह अनशन चलता रहेगा। हालांकि बलिया बाढ़ खंड के अवर अभियंता रिजवान अहमद ने बताया कि पुलिस फोर्स की मौजूदगी में चौरा कथरिया सलेमपुर कैथवली नरही में जाल खोला जा रहा है।
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इनसेट
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किसानों की मांग
: मंगई नदी को मछली माफियाओं से मुक्त करने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाए।
- किसानों की फसल का पुन: सर्वे कराकर फसल बीमा का लाभ दिया जाए।
- प्रभावित गांव को बाढ़ग्रस्त घोषित कर बाढ़ सहायता राशि दी जाए।
- मंगई नदी पर जोगामुसाहिब पुल के नीचे बनी पुरानी रपटा पुलिया और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की अस्थायी पुलिया जिसका काम समाप्त हो गया है, उसे हटाया जाए। उपेक्षा कर रहा प्रशासन
: धरना दे रहे किसानों ने प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस तरफ प्रशासन का ध्यान बिल्कुल नहीं है। आमरण अनशन के बावजूद वहां मेडिकल की कोई टीम नहीं है और न ही एंबुलेंस ही मौजूद है। इसके अलावा इतनी भीड़ के बावजूद दमकल की भी गाड़िया नहीं हैं। इसके अलावा प्रशासन द्वारा पर्याप्त मात्रा में पुलिस फोर्स की भी तैनाती नहीं की गयी है।
नहीं आए एसडीएम
: प्रशासन इस मामले में कितना लापरवाह है। नवागत उपजिलाधिकारी आशुतोष कुमार धरना के प्रथम दिन मौके पर आए और किसानों से दो दिनों का समय मांगा। समुचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, लेकिन दो के बजाय आज चौथा दिन है उनका कही अता पता नहीं है न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही सर्वे के लिए ही कोई आया।