कटान के मुहाने पर शहीदों का गांव शेरपुर

गंगा का जलस्तर दोबारा बढ़ने से अष्ट शहीदों के गांव।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:42 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 06:42 PM (IST)
कटान के मुहाने पर शहीदों का गांव शेरपुर
कटान के मुहाने पर शहीदों का गांव शेरपुर

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : गंगा का जलस्तर दोबारा बढ़ने से अष्ट शहीदों के गांव शेरपुर कला के लोग काफी दहशत में हैं। कारण कि सेमरा रामतुलाई के पूरब से शेरपुर के मुबारकपुर तक हुए कटान को रोकने के लिए अब तक किसी तरह का उपाय नहीं किया जा सका है। बीते माह गंगा के जलस्तर में काफी बढ़ाव होने से सेमरा

शिवरायकापुरा के आगे तिरपनवा से शेरपुर श्मशान घाट, माघी, मुबारकपुर तक जबरदस्त कटान होने से लोगों की करीब 200 बीघा कृषि भूमि गंगा में समाहित हो गई। जबरदस्त कटान के चलते गांव पर संकट के बादल मड़राते देख ग्रामीणों ने तिरंगा यात्रा निकालकर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया, वहीं जिलाधिकारी से मिलकर गांव को बचाने की गुहार लगाई। यही नहीं, सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के नेतृत्व में शहीद स्मारक राजकीय महाविद्यालय परिसर में हुई समीक्षा बैठक में भी कटान का मामला जोर-शोर से उठा गया। उसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर सीडीओ, एडीएम, सीआरओ अधिशासी अभियंता सिचाई विभाग व देवकली पंप नहर खंड प्रथम ने टीम बनाकर नाव से कटान क्षेत्र का निरीक्षण किया। कटान रोकने के उपाय के नाम पर सिचाई विभाग की ओर से शेरपुर श्मशान घाट के पास बांस का कैरेट बनाकर उसमें ईंट भरी बोरी डालने की योजना बनाई गईी, जो पूरी तरह अमल में नहीं लाई जा सकी। इस बीच जलस्तर दोबारा बढ़ने से कटान का खतरा बढ़ गया है, जिससे ग्रामीण गांव के भविष्य को लेकर चितित नजर आ रहे हैं।

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बोले ग्रामीण. फोटो : 05 सी।

: इस वर्ष कटान के चलते अष्ट शहीदों का गांव शेरपुर पूरी तरह निशाने पर है। दोबारा जलस्तर बढ़ने से खतरा और बढ़ गया है। कटान रोकने का उपाय नहीं हुआ तो आगे आबादी प्रभावित होगी और शहीदों का गांव एक इतिहास बनकर जाएगा।

कहर

- कटान को रोकने के लिए अब तक किसी तरह का नहीं हो सका उपाय

- गंगा का जलस्तर दोबारा बढ़ने से ग्रामीण भयभीत,

- पिछली बाढ़ में गंगा में समा गई थी 200 बीघा जमीन जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : गंगा का जलस्तर दोबारा बढ़ने से अष्ट शहीदों के गांव शेरपुर कला के लोग काफी दहशत में हैं। कारण कि सेमरा रामतुलाई के पूरब से शेरपुर के मुबारकपुर तक हुए कटान को रोकने के लिए अब तक किसी तरह का उपाय नहीं किया जा सका है। बीते माह गंगा के जलस्तर में काफी बढ़ाव होने से सेमरा

शिवरायकापुरा के आगे तिरपनवा से शेरपुर श्मशान घाट, माघी, मुबारकपुर तक जबरदस्त कटान होने से लोगों की करीब 200 बीघा कृषि भूमि गंगा में समाहित हो गई। जबरदस्त कटान के चलते गांव पर संकट के बादल मड़राते देख ग्रामीणों ने तिरंगा यात्रा निकालकर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया, वहीं जिलाधिकारी से मिलकर गांव को बचाने की गुहार लगाई। यही नहीं, सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के नेतृत्व में शहीद स्मारक राजकीय महाविद्यालय परिसर में हुई समीक्षा बैठक में भी कटान का मामला जोर-शोर से उठा गया। उसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर सीडीओ, एडीएम, सीआरओ अधिशासी अभियंता सिचाई विभाग व देवकली पंप नहर खंड प्रथम ने टीम बनाकर नाव से कटान क्षेत्र का निरीक्षण किया। कटान रोकने के उपाय के नाम पर सिचाई विभाग की ओर से शेरपुर श्मशान घाट के पास बांस का कैरेट बनाकर उसमें ईंट भरी बोरी डालने की योजना बनाई गईी, जो पूरी तरह अमल में नहीं लाई जा सकी। इस बीच जलस्तर दोबारा बढ़ने से कटान का खतरा बढ़ गया है, जिससे ग्रामीण गांव के भविष्य को लेकर चितित नजर आ रहे हैं।

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बोले ग्रामीण. फोटो : 05 सी।

: इस वर्ष कटान के चलते अष्ट शहीदों का गांव शेरपुर पूरी तरह निशाने पर है। दोबारा जलस्तर बढ़ने से खतरा और बढ़ गया है। कटान रोकने का उपाय नहीं हुआ तो आगे आबादी प्रभावित होगी और शहीदों का गांव एक इतिहास बनकर जाएगा।

- अरुण उपाध्याय फोटो : 06 सी।

: इस वर्ष शेरपुर इलाके में कटान ने काफी नुकसान पहुंचाया है। कटान से 200 बीघा से अधिक कृषि भूमि गंगा में समाहित हो गई। अब भी कटान रोकने को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं दिख रहा है।

- उपेंद्र राय

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: कटान रोकने का उपाय जल्द से जल्द कराने की जरूरत है। यदि बचाव कार्य में तेजी नहीं दिखायी गई तो कटान बर्बादी का बड़ा कारण बनेगा। गांव के सैकड़ों परिवार बेघर हो जाएंगे।

- संतोष राय

---- फोटो : 08 सी।

: पूरे शेरपुर ग्राम पंचायत के लिए कटान काफी बड़ी समस्या है। इससे बचाव के लिए जनप्रतिनिधियों व जिलाधिकारी से मिलकर गुहार लगाई गई है। बावजूद अभी रिजल्ट शू्न्य दिख रहा है। दोबारा जलस्तर बढ़ने से चिता बढ़ रही है।

- बसंत राम

---- फोटो : 09 सी।

: इस ऐतिहासिक गांव को बचाने के लिए अभी कोई प्रयास नहीं दिख रहा है जबकि गांव के लोग अपनी पीड़ा को हर स्तर पर पहुंचा चुके हैं। प्रशासन व शासन की उदासीनता आने वाले समय में गांव के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करेगा।

- आशुतोष राय

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