कटान के मुहाने पर गौरी गांव में कई मकान

जासं खानपुर (गाजीपुर) क्षेत्र के गौरी गांव में 30 परिवारों सहित करीब 200 लोग गोमती नदी के किनारे कटान के कगार पर हैं। इस बार कटान होने पर करीब 10 मकान जमींदोज हो सकते हैं। कई परिवारों के सामने निवास और सुरक्षित रहने का संकट खड़ा हो जाएगा। शिकायत के बावजूद अब तक इसे रोकने के लिए ठोस उपाय नहीं किया। इसे लेकर कटान पीड़ितों को अभी से चिता सताने लगी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 06:13 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 06:13 PM (IST)
कटान के मुहाने पर गौरी गांव में कई मकान
कटान के मुहाने पर गौरी गांव में कई मकान

फोटो-24सी। जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर) : गौरी गांव में 30 परिवारों सहित करीब 200 लोग गोमती नदी के किनारे कटान के कगार पर हैं। इस बार कटान होने पर करीब 10 मकान जमींदोज हो सकते हैं। कई परिवारों के सामने निवास और सुरक्षित रहने का संकट खड़ा हो जाएगा। शिकायत के बावजूद अब तक इसे रोकने के लिए ठोस उपाय नहीं किया। इसे लेकर कटान पीड़ितों को अभी से चिता सताने लगी है।

क्षेत्र के पश्चिमी सिरे से जिले में प्रवेश करने वाली गोमती नदी गांव के दक्षिण पूर्व की ओर गुजरती है। करीब अस्सी वर्ष पूर्व इस नदी गांव के दक्षिणी सिरे से लगभग एक किलोमीटर दूर से बहती थी। परंतु पिछले कई सालों से इसका प्रवाह गांव की ओर बढ़ता गया। गांव के भोलेनाथ राजभर, बच्चेलाल, चुलबुल राजभर, मंगला गौड़, मनबोध चौबे, संजीव सिंह, दीनानाथ, रामा राजभर सहित तीस परिवारों के रिहायशी मकान इससे प्रभावित हैं। किनारे बसे दर्जन भर परिवार के लोग सालभर अपने मकान के किनार पर मिट्टी, ईंट, पत्थर, बांस, पौधे लगाकर कटान रोकने का प्रयास करते हैं। दो महीने बाढ़ और बारिस में उनके सारे प्रयास पर पानी फिर जाता है और मकान कटान के दायरे में आ जाता है। बारिश और उफनाई बाढ़ की स्थिति में किनारे बने मकानों के लोग अपना घर छोड़कर गांव के ऊपरी हिस्से में किसी सुरक्षित जगह में निवास करते हैं।

----------- हर वर्ष हो रहा कटान

कटान रोकने का ठोस उपाय नहीं किया जाता है। सरकारी सहायता सिर्फ बाढ़ राहत तक सिमटकर रह जाता है। पूर्व प्रधान विजय शंकर सिंह, चुलबुल राजभर, रमिता देवी का कहना है कि हर साल बाढ़ में तीन से चार फीट मिट्टी कट जाने से जान हथेली पर रखकर इन मकानों में रहना पड़ता है और हर बारिश और बाढ़ के बाद मकानों को सहेजना पड़ता है। खतरे के मुहाने पर खड़े घरों में रहना खतरनाक है। कटान की भय से पक्के मकानों का निर्माण करना जोखिम भरा लगता है।

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