आत्मनिर्भर भारत को गति प्रदान कर रहेसउदिया व दिल्ली से लौटे भाई

-सैदपुर नगर निवासी तबरेज रहते थे सउदिया तो तो उनके भाई खुर्शीद दिल्ली बिखर रहा हुनर का जलवा -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पंख लगने शुरू -तबरेज सउदिया तो खुर्शीद दिल्ली में करते थे फर्नीचर का काम

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 05:02 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 05:02 PM (IST)
आत्मनिर्भर भारत को गति प्रदान कर रहेसउदिया व दिल्ली से लौटे भाई
आत्मनिर्भर भारत को गति प्रदान कर रहेसउदिया व दिल्ली से लौटे भाई

फोटो- 2 सी। जागरण संवाददाता, सैदपुर (गाजीपुर) : कोरोना ने लोगों की सोच, प्रवृति और मनोदशा को बदल दिया है। पाजीटिव सोच वालों ने महामारी के इस आपाधापी के दौर में इसे अवसर के रूप में तब्दील कर दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पंख लगने शुरू हो गए। बतौर बानगी सैदपुर नगर निवासी तबरेज व उनके भाई खुर्शीद को लिया जा सकता है, जो औरों के लिए प्रेरणा हो सकते हैं। तबरेज सउदिया तो खुर्शीद दिल्ली में फर्नीचर का काम करते थे।

नगर के वार्ड संख्या दस निवासी सेवानिवृत्त प्रवक्ता स्व शेख बद्रेआलम के पुत्र तबरेज आलम सउदी अरब के जेदाह में रहते थे। वहां पर वे एक फर्नीचर कंपनी में काम करते थे। लाकडाउन के पहले मार्च के पहले सप्ताह में वह घर पर आ गए थे। कोरोना की वजह से वह जा नहीं सके। महामारी की वजह से उन्होंने सउदी अरब से मन हटा लिया और अपने हुनर से यहीं पर स्वरोजगार का मूड बनाया। इस कार्य में उनका साथ छोटे भाई खुर्शीद आलम ने दिया। खुर्शीद भी दिल्ली में निजी कंपनी में काम करते थे। वे भी अब यहीं पर रहने लगे हैं। दोनों कारीगरों को लगाकर वह यहीं पर न सिर्फ फैशनेबल कुर्सी बनाकर न खुद बल्कि औरों के आजीविका को चला रहे हैं। ---

हुनर था तो भरोसा बढ़ा

तबरेज ने बताया कि फर्नीचर कंपनी में काम करने की वजह से मुझे इसका काफी नालेज था। इससे भरोसा भी बढ़ा। यहां आने पर छोटे भाई से राय मशविरा करने मैंने घर पर ही कारखाना बनाया। कारीगरों की जरूरत पड़ी तो शुरुआत में लोकल कारीगर नहीं मिले। झारखंड से चार कारीगरों को बुलाया। वे कारीगर लगातार काम करने लगे और धंधा चलने लगा। अब कुछ क्षेत्रीय लोगों को भी झारखंड के कारीगरों के साथ लगा दिया जिससे वे कारीगरी सीख सकें। चूंकि अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जिससे क्षेत्रीय कारीगर परिपक्व नहीं हो पाए हैं लेकिन धीरे-धीरे वे सीख जाएंगे। तब क्षेत्रीय लोगों को स्व रोजगार मिलने लगेगा। जिले में विभिन्न जगहों पर हमारे यहां से फर्नीचर भेजा जाता है। इसमें अच्छी-खासी आमदनी भी हो जाती है। ---

-महानगरों से कच्चा माल

- कोलकाता, कानपुर, वाराणसी आदि जगहों से रेक्सीन, हैंडल, प्लाई, हाईड्रोलिक, स्टैंड, कांच वगैरह मंगाया जाता है। कारीगर एक से बढ़कर एक कुर्सी तैयार करते हैं जिनकी मार्केट में अच्छी डिमांड भी है। पहले रेडीमेड फर्नीचर मंगाने वाले अब हमारे यहां आर्डर देकर फर्नीचर बनवाते हैं। ---

निकट भविष्य में ज्यादा लोगों को मिलेगा रोजगार

-फर्नीचर का कार्य बढ़ेगा तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। आज यह कार्य केवल मेरे यहां हो रहा है। निकट भविष्य में और लोग भी कारखाना खोलेंगे तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे लोग आत्मनिर्भर बनेंगे।

-तबरेज।

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