जिले में लंबित है एससी-एसटी के 1487 मुकदमें

जागरण संवाददाता गाजीपुर जिले में एससी-एसटी एक्ट के कुल 1487 मामले लंबित है। इस पर न्यायाधी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 03:41 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 03:41 PM (IST)
जिले में लंबित है एससी-एसटी के 1487 मुकदमें
जिले में लंबित है एससी-एसटी के 1487 मुकदमें

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : जिले में एससी-एसटी एक्ट के कुल 1487 मामले लंबित है। इस पर न्यायाधीश ने सभी क्षेत्राधिकारियों को पत्र प्रेषित कर आदेशित किया है कि मामले का शीघ्र निस्तारण किया जाए। इसके लिए उन्होंने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार के संबंधित मुकदमों का निस्तारण अब प्रतिदिन करने की व्यवस्था की है। नई व्यवस्था के आरोप पत्र प्रस्तुत होने के दो माह के अंदर मुकदमों का निस्तारण किया जाना है।

एससी-एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश गुलाब सिंह ने क्षेत्राधिकारियों को यह भी आदेशित किया है कि सभी गवाहों का वर्तमान व स्थाई नाम, पता एवं मोबाइल नंबर आरोपपत्र में अवश्य अंकित करें ताकि मामले का शीघ्र निस्तारण किया जा सके। न्यायाधीश के इस आदेश से अब लोगों में उम्मीद जगी है कि अब मामले में तेजी आएगी और पीड़ितों को शीघ्र न्याय भी मिल सकेगा। न्यायाधीश के इस आदेश के बाद अब क्षेत्राधिकारियों ने भी अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। एक आकंड़े के अनुसार जिले में ऐसे कई मामले हैं जो 20 से 22 वर्ष पुराने हो चुके हैं, लेकिन उनका अभी तक निस्तारण नहीं हो सका है।

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पुलिस की गवाही में होती है देरी

: एससी-एसटी के मुकदमें में पीड़ित पक्ष की ओर से प्रस्तुत गवाहों की गवाही तो हो जाती है, लेकिन पुलिस की गवाही में काफी विलंब होता है। वहीं अगर गवाह का स्थानांतरण कहीं अनयंत्र हो जाता है तो उनकी गवाही में और विलंब हो जाती है। यही कारण है कि कई मुकदमों के निस्तारण में वर्षों लग जाते हैं।

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केस-1

: नंदगंज थाना क्षेत्र के नैसारा के हीरा राम ने 30 जून 1997 को एससी-एसटी का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें गवाही आदि पूर्ण हो चुका है, लेकिन अभी तक निस्तारण नहीं हो सका है। हालांकि यह अब अंतिम चरण में है। इसमें भी विलंब होने का कारण समय से गवाही न होना ही है।

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केस-2

: शहर कोतवाली के हुसैनपुर में 28 सितम्बर 1998 को पुरानी रंजिश में जान से मारने की नीयत से फायर किया गया था। इसमें हाथीखाना निवासी अजय कुमार राम ने एफआइआर दर्ज कराया था। इस मामले में को भी लगभग 22 वर्ष हो गए, पीड़ित को अब तक न्याय नहीं मिल सका है।

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