विद्यालय तक पहुंचने के लिए नहीं सड़क

जागरण संवाददाता, भांवरकोल (गाजीपुर) : बेसिक शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण क्षेत्र क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Aug 2018 08:16 PM (IST) Updated:Sun, 05 Aug 2018 08:16 PM (IST)
विद्यालय तक पहुंचने के लिए नहीं सड़क
विद्यालय तक पहुंचने के लिए नहीं सड़क

जागरण संवाददाता, भांवरकोल (गाजीपुर) : बेसिक शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में प्राथमिक शिक्षा दु‌र्व्यवस्था की शिकार हो चुकी है। इस दु‌र्व्यवस्था का कारण शिक्षकों की कमी और विभागीय अधिकारियों की मनमानी है। विद्यालय आने-जाने के लिए रास्तों का अभाव, विद्यालयों में जलजमाव, शौचालयों एवं हैंडपंपों की खराब स्थिति और विद्यालयों के जर्जर भवन भी इसके प्रमुख कारण हैं।

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जसदेवपुर के परिसर में जलजमाव है तो पूर्व माध्यमिक विद्यालय दहिनवर के भवन के पास एक से डेढ़ फीट तक पानी जमा होने से बच्चे विद्यालय पहुंचने से कतराते हैं। प्राथमिक विद्यालय बसनियां, लोचाइन, सजना तथा प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय मुड़ेरा बुजुर्ग सहित कुछ अन्य ऐसे विद्यालय हैं जहां आने-जाने का रास्ता नहीं होने से बच्चे इन विद्यालयों नहीं पहुंच पा रहे हैं। पूर्व माध्यमिक विद्यालय सोनवानी का भवन जर्जर होने से एक ही कमरे में सभी बच्चों को पढ़ाने की औपचारिकता पूरी की जा रही है। प्राथमिक विद्यालय अराजी बुढ़ैला में वर्षों पूर्व बने दो कमरों पर अब तक छत नहीं पड़ सकी है। प्राथमिक विद्यालय फिरोजपुर का भवन जर्जर होने से बच्चों को पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बैठाकर पढ़ाया जाता है। हालांकि वे कमरे भी जर्जर ही हैं। सुधार के लिए किए जाने वाले समायोजन के नाम पर विभाग की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय दहिनवर पर तैनात शिक्षक शैलेन्द्र कुमार को वर्ष 2016 से ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय रानीपुर से संबद्ध कर दिया गया है जबकि शैलेंद्र का वेतन अब भी उनके मूल तैनाती स्थान दहिनवर से ही निर्गत होता है। अब दहिनवर पूर्व माध्यमिक पर मात्र एक शिक्षक उस्मान अंसारी ही शिक्षण कार्य करते हैं। परिणाम यह है कि विद्यालय टूटने की कगार पर है। इस वर्ष कक्षा 8 से 4 बच्चों के अनयत्र चले जाने से अब कक्षा आठ में केवल एक बच्ची रह गयी है। कक्षा सात में तीन तथा कक्षा छह में अबतक मात्र सात ही नामांकन हो सका है। विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि वर्तमान सत्र शुरू हुए चार माह से अधिक का समय हो गया, लेकिन विद्यालय के बच्चों को अब तक पाठ्य-पुस्तकों का वितरण भी नहीं हो सका है। कुछ कक्षाओं के बच्चों को कुछ विषयों की पुस्तकें वितरित जरूर हुई हैं। सब मिलाकर परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है।

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