कोरोना के उपचार में रेमडेसिविर जरूरी नहीं

रेमडेसिविर की मारी-मारी के बीच स्वास्थ्य विभाग ने उसकी अनिवार्यता

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 04:37 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 04:37 PM (IST)
कोरोना के उपचार में रेमडेसिविर जरूरी नहीं
कोरोना के उपचार में रेमडेसिविर जरूरी नहीं

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : रेमडेसिविर की मारी-मारी के बीच स्वास्थ्य विभाग ने उसकी अनिवार्यता समाप्त कर दी है। अब वैकल्पिक दवाओं से जिला अस्पताल व सहेड़ी में भर्ती कोरोना रोगियों का उपचार हो रहा है। इन दवाओं से रोगियों को काफी लाभ हो रहा है और वह स्वस्थ हो रहे हैं। वैसे भी जिले को अब तक केवल एक खेप में 118 वायल ही रेमडेसिविर मिला है। डब्ल्यूएचओ ने भी इसे अनिवार्य नहीं बताया है। इसको अमल में लाते हुए स्वास्थ्य विभाग ने रेमडेसिविर से किनारा कर लिया है।

कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रहे डा. एसके मिश्र ने बताया कि कोरोना की पहली लहर में रेमडेसिविर का इस्तेमाल किया गया। परिणाम बेहतर मिले, लेकिन यह सभी के लिए कारगर नहीं है। केवल डाक्टर के परामर्श पर लेना चाहिए। डेक्सामेथासोन और मेटिलप्रीडनिसोन जैसे स्टेराइड्स के नतीजे अच्छे मिल रहे हैं। डेक्सामेथासोन की गोली दो रुपये की आती है, जबकि इसका इंजेक्शन करीब 40 रुपये का है। डेक्सामेथासोन से फेफड़ों में सूजन कम हो जाती है। इससे निमोनिया, एआरडीएस के होने की आशंका कम रहती है। लो मालिकुलर वेट हैप्रिस की गोलियां खून के थक्के नहीं बनने देते। अब रेमडेसिविर से ज्यादा स्टेरायड के प्रयोग को महत्ता दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने रेमडेसिविर के पीछे न भागने व स्टेरायड का इस्तेमाल घर पर न करने की सलाह दी है। मामूली लक्षण में स्टेरॉयड नहीं दिया जाना चाहिए और सात दिन के बाद भी अगर लक्षण बने रहते हैं (लगातार तेज बुखार, खांसी आदि) तो डाक्टर से विचार-विमर्श कर कम डोज का ओरल स्टेरॉयड लेना चाहिए। आक्सीजन स्तर में कमी या सांस लेने में दिक्कत आने पर लोगों को अस्पताल में भर्ती होना चाहिए अथवा डाक्टर से तुरंत परामर्श लेना चाहिए। मामूली लक्षण वाले रोगियों को सांस लेने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए और उनकी आक्सीजन स्तर 94 फीसदी से अधिक होनी चाहिए। स्टेरायड कभी भी अपनी मर्जी से न शुरू करें। हमेशा डाक्टर की सलाह पर निर्धारित मात्रा में इसे लें। जब पांच से सात दिन तक बुखार ठीक नहीं होता व तेज बुखार के साथ खांसी, बेचैनी महसूस होने लगे तब स्टेरायड शुरू करते हैं, वह भी एचआरसीटी व चेस्ट एक्सरे के दौरान फेफड़ों में निमोनिया की पुष्टि होने पर।

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स्टेरायड के कोविड में लाभ

- सांस की नली में सूजन को ठीक करने में मदद मिलती है। संक्रमित मरीजों को सांस लेने में आराम मिलता है।

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स्टेरायड के साइड इफेक्ट

- गैस की समस्या, आंतों में सूजन, अल्सर के मरीज का अल्सर फटने की आशंका, हाथ पैर में दर्द, ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के रोगियों का बीपी व शुगर लेवल बढ़ जाता है।

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