महज 14 फीसद लोगों को ही मिला 100 दिन का रोजगार

जागरण संवाददाता गाजीपुर महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 बहुत बेहतर साबित नहीं रहा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 03:46 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 03:46 PM (IST)
महज 14 फीसद लोगों को ही मिला 100 दिन का रोजगार
महज 14 फीसद लोगों को ही मिला 100 दिन का रोजगार

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 बहुत बेहतर नहीं रहा। अन्य योजनाओं की तरह इसे भी कोरोना व लाकडाउन ने काफी हद तक प्रभावित किया। वित्तीय वर्ष समाप्त होने को है, लेकिन अभी तक लक्ष्य के सापेक्ष केवल 14 फीसद लोगों को ही 100 दिन का रोजगार दिया जा सका है। हालांकि अभी भी मार्च तक अधिक से अधिक लोगों को काम देने की कवायद चल रही है।

शासन ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 47 हजार 476 जॉबकार्ड धारकों को काम देने का लक्ष्य निर्धारित किया था। हालांकि मार्च में ही लाकडाउन लग चुका था। इससे कोई काम नहीं हो पा रहा था। बाद में जब लाकडाउन लंबा खिंचने लगा और कामधंधा बंद होने से रोजगार का संकट गहराया तो सरकार ने मनरेगा के तहत काम करने का निर्देश जारी किया। सभी ग्रामसभाओं में मनरेगा के काम शुरू हुए लेकिन वह नाकाफी सिद्ध हुआ। लाख कोशिश के बाद भी 14 फीसद से अधिक को 100 दिन का रोजगार नहीं मिल पाया। इसके अलावा किसी को 10 दिन तो किसी को 20 या 25 दिन का ही काम मिला।

कोरोना काल से उबर रहा मनरेगा

कोरोना काल से धीरे-धीरे मनरेगा भी अब उबर रहा है। रोजगार के क्षेत्र में यहां काफी संभावनाएं हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए श्रम बजट के निर्धारण के संबंध में काफी पहले से तैयारियां शुरू हो गईं हैं। इस संबंध में विभाग को शासनादेश भी प्राप्त हो गया है। जॉबकार्ड भी नए बनाए जाएंगे। शासन ने कुछ विशेष कार्यों को अनिवार्य रूप से शामिल करने का निर्देश दिया है।

2021-22 में मनरेगा प्रमुख योजनाएं.

- क्लस्टर अन्तर्गत सक्रिय सभी जॉब कार्डधारकों को 100 दिन का रोजगार। - मनरेगा की अनुसूची दो के पैरा पांच में उल्लेखित परिवारों को व्यक्तिगत लाभार्थी कार्यों व परियोजनाओं के सृजन के लिए दो लाख की सीमा तक का लाभ (पशु आश्रय, बकरी आश्रय, मुर्गी आश्रय, फार्म पांड, सिंचाई कूप, बागवानी

आदि) का कार्य। - क्लस्टर की सभी ग्राम पंचायतों में कम से कम 30 व्यक्तिगत परिसम्पत्ति

प्रति ग्राम पंचायत का निर्माण। - पशुपालन विभाग एवं मनरेगा कंवर्जेन्स से सभी अनुमन्य श्रेणी के लाभार्थियों को आच्छादित कर उनकी पशुपालन क्षमता में वृद्धि करते हुए आय संव‌र्द्धन। - स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्यों द्वारा नर्सरी स्थापना, मत्स्य पालन का कार्य। - उत्पादों की बिक्री के लिए प्रति ग्राम पंचायत एक रूरल हाट का निर्माण। - स्वयं सहायता समूहों के क्रियाकलापों के लिए कम से कम एक वर्क शेड प्रति समूह का निर्माण तीन प्रति ग्राम पंचायत। - ग्राम पंचायत व मजरावार खेल के मैदान का निर्माण दो प्रति ग्राम पंचायत। - विद्यालयों में बाउंड्री वाल का निर्माण 100 फीसद। - आंगनबाड़ी केंद्र एवं पंचायत भवन का निर्माण एवं समस्त शासकीय भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण। - ग्राम पंचायत में शवदाह गृह का निर्माण कार्य। - चेक डैम का निर्माण/जीर्णोद्धार एवं सफाई (भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार)। - खाद्य गोदामों का निर्माण दो प्रति ग्राम पंचायत। - खेतों तक सिचाई की नाली का निर्माण कार्य

- कोविड-19 संक्रमण के चलते हर काम प्रभावित रहा। इससे मनरेगा भी अछूता नहीं रहा। काफी कोशिश के बाद भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। अगले वर्ष अधिक से अधिक जाब कार्डधारकों को काम दिया जाएगा।

- भूषण कुमार, डीडीओ व प्रभारी मनरेगा डीसी।

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