देहात के विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई चौपट

जागरण संवाददाता बारा (गाजीपुर) कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए फिलहाल स्कूल खुलने

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Sep 2020 05:20 PM (IST) Updated:Fri, 18 Sep 2020 05:20 PM (IST)
देहात के विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई चौपट
देहात के विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई चौपट

जागरण संवाददाता, बारा (गाजीपुर) : कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए फिलहाल स्कूल खुलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। शहरी क्षेत्र में तो प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का लाभ मिल रहा है, लेकिन गांव - देहात के बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में संसाधनों की कमी, नेटवर्किंग समस्या, छात्रों के पास स्मार्ट फोन आदि समस्याओं के चलते पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इससे बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है।

लॉकडाउन का एलान होते ही छात्र - छात्राओं के स्कूल - कॉलेज जाने पर रोक लग गई। ऑनलाइन शिक्षा का इंतजाम करने के आदेश जारी किए। शहरों के स्कूलों में काफी प्रयास के बाद ऑनलाइन शिक्षा शुरू हुई। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है। शिक्षा विभाग ने अध्यापकों को ऑनलाइन पढ़ाई कराने के लिए जूम एप आदि पर प्रशिक्षण भी दिया। बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में संसाधनों की कमी छात्रों के पास स्मार्ट फोन की समस्या, नेटवर्किंग समस्या, बिजली की समस्या आदि के चलते छात्र - छात्राओं की ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो पा रही है।

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स्कूलों में नहीं तकनीकी उपकरण

देहात के कई स्कूलों में बिजली तक की व्यवस्था नहीं है। इंटरनेट प्रोजेक्टर व लैपटॉप आदि की सुविधा न होने से शिक्षक चाहकर भी ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।

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इंटरनेट की कमी बड़ी समस्या

सरकार ने जब ऑनलाइन पढ़ाई के बारे में सोचा होगा तो अधिकारियों के दिमाग में जूम और स्काइप जैसे वीडियो कॉलिग एप रहे होंगे, लेकिन गांव - देहात में इंटरनेट की समस्या होने से कॉल करने की भी समस्या रहती है।

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अभिभावक नहीं दे रहे अहमियत

बारा गांव के रविद्र श्रीवास्तव, कारोबीर के हैदर खां समेत अन्य लोगों का कहना है कि बहुत से माता - पिता बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई को अहमियत नहीं दे रहे हैं। स्कूल न जाने की स्थिति में कई बच्चे घरेलू काम या खेती में हाथ बंटाने में लग गए हैं। गांव - देहात में हर बच्चे के अभिभावक के पास स्मार्ट फोन नहीं है। ज्यादातर की पैड वाला फोन इस्तेमाल करते हैं, जिन अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन की सुविधा है, वे नौकरी पेशा या अन्य कार्यों से जुड़े होने के कारण बच्चों को नहीं उपलब्ध करा पा रहे हैं।

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