नो शापिंग फॉर ईद का चला अभियान, सादगी से पर्व मनाने पर जोर
जागरण संवाददाता भदौरा (गाजीपुर) पिछले साल की तरह इस वर्ष भी मुस्लिम समुदाय में सादगी से ईद मनाने की तैयारी की है।
जागरण संवाददाता, भदौरा (गाजीपुर) : पिछले साल की तरह इस वर्ष भी मुस्लिम समुदाय में सादगी से ईद मनाने की तैयारी है। कोरोना महामारी को देखते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नो शापिग फार ईद का अभियान चला रखा है। अब उलेमाओं की तरफ से भी यह निर्देश जारी होने लगा है। लोग इसका समर्थन भी कर रहे हैं। इलाके में शापिग नहीं करने का फैसला लिया जा रहा है। उलेमाओं का कहना है कि भारत समेत पूरी दुनिया के लोग इस संक्रमण की चपेट में हैं। इस तबाही को देखते हुए इलाके के अधिकांश गांव में लोगों ने यह फैसला लिया है कि इस साल ईद का पर्व सादगी से मनाया जाएगा। यह भी तय किया गया है कि मुसलमान ईद की खरीदारी भी नहीं करेंगे। शापिग के उस पैसों से आसपास में रहने वाले जरूरतमंदों की मदद करेंगे।
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.. से नो टू ईद शापिग का मैसेज सोशल मीडिया पर कर रहा ट्रेंड इस बार ईद सादगी से मनेगी। लोग नए कपड़े नहीं पहनेंगे। नए की जगह पुराने कपड़े पहनकर ईद मनाई जाएगी। सोशल मीडिया पर यह मैसेज खूब ट्रेंड हो रहा है और इस पर समर्थन भी मिल रहा है। समाज का मानना है कि कोरोना वायरस के कारण देश संकट के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में नए कपड़े, जूता, चप्पल, ज्वेलरी क्यों खरीदें। लाकडाउन में घर पर ही रहें। बाहर निकलने से कोरोना के फैलने का भय भी है।
मुश्किल हालात में ईद की शापिग करना गलत
दारुल उलूम अहले सुन्नत मदरसा गौसिया बारा के प्रधानाचार्य मौलाना कलीमुद्दीन शम्सी ने कहा कि ऐसे मुश्किल दौर में ईद की शापिग करना गलत होगा। शापिग करने के बजाय उन पैसों से गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करें। जरूरतमंदों की करें मदद
इस्लामिक संस्था जमीयतुश्शुबान बारा के सरपरस्त मौलाना सालिम अबु नस्त्र ने कहा कि महामारी के चलते लागू किए गए लाकडाउन की वजह से गरीब व बेसहारा लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कहा कि इस बार हम ईद की शापिग नहीं करेंगे। घर में जो भी कपड़े हैं, उन्हें ही हम ईद वाले दिन पहनेंगे। ईद की शापिग के पैसों से जरूरतमंदों की मदद करें। सदका फित्र और जकात देकर करें लोगों की सहायता।