सुंदरीकरण के इंतजार में 1200 वर्ष पुराना मौनी बाबा मठ

जागरण संवाददाता करंडा (गाजीपुर) चोचकपुर मौनी बाबा मठ जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण के इंतजार कर रहा है। जबकि यहां पर जिले का सबसे बड़ा मेला भी लगता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 03:26 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 03:26 PM (IST)
सुंदरीकरण के इंतजार में 1200 वर्ष पुराना मौनी बाबा मठ
सुंदरीकरण के इंतजार में 1200 वर्ष पुराना मौनी बाबा मठ

जागरण संवाददाता, करंडा (गाजीपुर): चोचकपुर मौनी बाबा मठ जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण के इंतजार में पर्यटन विभाग की राह देख रहा है। यह मठ लगभग 1200 वर्ष पुराना है। मुख्य दीवारें जीर्णशीर्ण हो गई हैं। बगल में बना आवासीय भवन काफी पुराना और जर्जर स्थिति में है। गंगा घाट की कुछ सीढि़यां क्षतिग्रस्त हो गई है, तो वहीं पार्क भी सुंदरीकरण की राह देख रहा है। मौनी बाबा मंदिर में शादी विवाह का आयोजन होतसा है। इसके लिए एक मैरिज हाल की जरूरी है। अगर इस मठ का सुंदरीकरण हो जाए तो पर्यटन की दृष्टि से काफी विकास होगा।

महंत सत्यानंद गिरी ने बताया कि हंसराजपुर से उत्तर दिशा में पड़ने वाले कर्षाय गांव निवासी मौनी बाबा का नाम पूर्व में गरीबी गिरी था। कार्तिक मास की तेरस को जागृत अवस्था में मौन होकर समाधि लेने के कारण इनका नाम मौनी बाबा पड़ा था। कहा जाता है कि समाधि लेने के बाद चतुर्दशी के दिन मौनी बाबा शादियाबाद थाना से सात किमी दूर कनुआन गांव में देखे गए थे। जहां इन्होंने पुन: समाधि ली थी जिससे मठ मौनी बाबा चौकी के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन महापूजन अर्चन होता है। मौनी बाबा मंदिर पर कार्तिक मास में पूर्णिमा के दिन जनपद का सबसे बड़ा मेला लगता है। यह मेला एकादशी के दिन से शुरू होता है। जहां श्रद्धालु गंगा स्नान कर बाबा की समाधि पर गन्ने का रस चढ़ाते हैं। तेरस के दिन क्षेत्रवासी अपने घरों का बना रोट (पूड़ी) मौनी बाबा की समाधि पर चढ़ाते हैं। करंडा क्षेत्र के नौदर गांव के लिए चतुर्दशी के दिन रोट चढ़ाने की विशेष व्यवस्था चली आ रही है। मौनी बाबा के विषय में बताया जाता है कि गंगा पार चंदौली जिले से एक ग्वालिन महिला इस पार प्रतिदिन दही बेचने के लिए नाव से आती थी। एक दिन दही बेचते-बेचते शाम हो गई और उसे उस पार अपने घर जाने के लिए नाव नहीं मिली। काफी परेशान होने के बाद उसने मौनी बाबा से बताया कि मुझे उस पार अपने घर जाना है। मेरा बच्चा छोटा है, जो भूख से तड़प रहा होगा। तब मौनी बाबा ने उस महिला को अपने साथ पानी पर पैदल चलते हुए गंगा पार करा दिया। साथ ही कहा कि इस घटना का जिक्र किसी से मत करना नहीं तो उसी क्षण पत्थर हो जाओगी। देर रात घर आने से पति द्वारा महिला पर चरित्र का लांछन लगाया गया। पति को बार बार समझाने के बाद भी वह जब नहीं माना तो महिला अपने पति को मौनी बाबा के पास लाई और पानी पर पैदल चलकर गंगा पार करने की घटना बताई। उसी क्षण महिला पत्थर में परिवर्तित हो गई जिसका मंदिर मौनी बाबा मठ के बगल में बनाया गया है। जिसे लोग अहिरिनिया माई के नाम से बुलाते हैं। महंत सत्यानन्द गिरी ने कहा कि इस मठ के प्रति लोगों की अपार आस्था है। सुंदरीकरण की अत्यंत आवश्यकता है।

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