पछुआ हवा से तरबूज की खेती प्रभावित, नुकसान
जागरण संवाददाता मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) लगातार पछुवा हवा चलने व तपन के चलते तरबूज की खेती
जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : लगातार पछुवा हवा चलने व तपन के चलते तरबूज की खेती पर काफी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। पौधों के झुलसने से फल नहीं पकड़ पा रहा है। इससे किसानों का लागत मूल्य भी निकलना मुश्किल हो गया है।
किसान बच्छलपुर, सेमरा, छानबे, शेरपुर, पलिया, लोहारपुर, गौसपुर के अलावा गंगा पार दियारे व बाड़ इलाके में काफी रकबे में तरबूज की खेती किए हैं। किसानों ने बताया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह से फरवरी के दूसरे सप्ताह तक बुआई होती है। 15 दिनों में बीज अंकुरित होकर पौधों का रूप ले लेते हैं। मई में उसमें लगे फल पककर तोड़ने की स्थिति में हो जाते हैं। बताया कि एक बीघा खेती में सब मिलाकर 50 से 75 हजार रुपये की लागत आती है। इस वर्ष पौधों के विकास व फल लेने के समय पर ही तेज पछुवा हवा बहने व तपन के चलते काफी प्रयास के बाद भी वह झुलस जा रहे हैं। कहीं-कहीं फल लगा है तो उसमें कोई खासा बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। अगर यही हालत रहा तो खेती का लागत भी नहीं निकल पाएगा। बताया कि बीते वर्ष कोरोना के चलते भाव नहीं मिलने से नुकसान हुआ और इस वर्ष पछुवा बर्बाद कर रहा है।