जीवित्पुत्रिका आज, महिलाएं रहेंगी निर्जला व्रत

जागरण संवाददाता गाजीपुर पुत्रों की दीर्घायु का महान व कठिन जीवित्पुत्रिका व्रत आज बुधवार

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 07:36 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 07:36 PM (IST)
जीवित्पुत्रिका आज, महिलाएं रहेंगी निर्जला व्रत
जीवित्पुत्रिका आज, महिलाएं रहेंगी निर्जला व्रत

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : पुत्रों की दीर्घायु का महान व कठिन जीवित्पुत्रिका व्रत आज बुधवार को विधि-विधान से होगा। माताएं जीवित्पुत्रिका का निर्जला व्रत रहकर पूजन-अर्चन करेंगी। इसको लेकर देर रात तक तैयारियां चलती रहीं।

मंगलवार को व्रती महिलाओं ने नदी, सरोवर या पवित्र जल में स्नान करने के बाद साफ-सुथरे चूल्हे पर आटे की रोटियां बनाई, जिसे देशी घी में चुपटकर चील और सियार को खाने के लिए अर्पित किया। व्रती महिलाओं ने सरपुतिया (तोरई) के खड़े फल को अपने बच्चों के संख्या के आधार पर सेवन किया। उड़द व चना की दाल, चावल, सरपुतिया की सब्जी, दही खाने के बाद देर रात्रि पान खाकर मुंह शुद्धिकरण के बाद निर्जला व्रत की शुरुआत की। बुधवार को पूरे दिन बिना अन्न पानी के रहते हुए शाम को गोधूलि बेला में भगवान जीमूत वाहन की सामूहिक पूजा करेंगी। आज शाम को पूजन कथा श्रवण के बाद गुरुवार को सुबह सूर्योदय के समय स्नान ध्यान के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।

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दुकानों पर रही भीड़

खानपुर : जीवित्पुत्रिका को लेकर मंगलवार को फलों और पूजन सामग्री के दुकानों पर खरीददारों की भीड़ उमड़ी रही। मंगलवार की देर शाम से हर घर से मंगलगीत की धुन सुनाई पड़ने लगी थी। खरौना के चंद्रभान मिश्रा बताते हैं कि जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा में वर्णित चील और सियार का होना शुभ माना जाता है। इस व्रत को रखने से पहले कुछ जगहों पर महिलाएं गेहूं के आटे की रोटियां खाने की बजाए मरुआ के आटे की रोटियां खाती हैं। इसके साथ ही नोनी का साग बनाया जाता है। इसे खाकर महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। इस व्रत के बारे में धौम्य ऋषि ने द्रौपदी से कहा था कि व्रत करने वाली माताओं को कुश का जीमूतवाहन बनाकर उनकी पूजा और कथा सुननी चाहिए। कई जगह लव-कुश को भी बनाकर पूजा की जाती है।

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