जुलाई से मिलेगी बोतल बंद लिक्विड नैनो यूरिया

जागरण संवाददाता मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) किसानों को यूरिया की जगह जुलाई से अब लिक्विड नैनो यूरिया मिलेगी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 09:08 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 09:08 PM (IST)
जुलाई से मिलेगी बोतल बंद लिक्विड नैनो यूरिया
जुलाई से मिलेगी बोतल बंद लिक्विड नैनो यूरिया

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : किसानों को यूरिया की जगह जुलाई से अब लिक्विड नैनो यूरिया मिलेगी। यह 45 किलो की बोरी के स्थान पर केवल आधा लीटर की एक बोतल में रहेगी। इसे उर्वरक के क्षेत्र में क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है। साग-सब्जी एवं फल संरक्षण सहकारी क्रय विक्रय समिति यूसुफपुर के परिसर में बुधवार को इफको की तरफ से आयोजित कृषक गोष्ठी में मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक वाराणसी मंडल राकेश कुमार श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी। कहा, इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बिल्कुल कमजोर नहीं होगी। यह स्प्रे की जाएगी जिसे पत्तों के छिद्रों से पौधा अपने अंदर लेगा।

उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया 45 किलो की बोरी के स्थान पर केवल 500 मिली लीटर की एक बोतल में मिलेगी। एक बोतल में 40 हजार पीपीएम होती है जो सामान्य यूरिया की एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पाया जाता है। 500 मिली लीटर नैनो यूरिया एक एकड़ के लिए पर्याप्त है। दो एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर खेत में छिड़काव करना है। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया जुलाई से जिले में किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। इसके उपयोग से जल प्रदूषण नहीं होता है।

क्षेत्रीय अधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि नैनो यूरिया को लाना ले जाना बहुत ही आसान हो जाएगा। डीसीएफ के चेयरमैन विजय शंकर राय ने नैनो यूरिया लांच करने के लिए इफको के प्रबंधक निदेशक यू एस अवस्थी की प्रशंसा की। तरल नैनो यूरिया फसलों पर स्प्रे की जाएगी जिसे पत्तों के छिद्रों से पौधा अपने अंदर लेगा। इससे पौधा खाद का 90 प्रतिशत तक उपयोग कर पाएगा। कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य फेकू सिंह यादव, पूर्व ब्लाक रामायण सिस यादव, विनोद उपाध्याय, निशिकांत राय, रवींद्र नाथ राय, आनंद कुमार त्रिपाठी, शंभू सिंह अकेला, बलिराम पटेल आदि थे। काम ज्यादा, कीमत कम, फायदे अनेक

इसकी कीमत यूरिया के बैग से 10 फीसदी कम है। एक बैग की कीमत 266 रुपये 50 पैसे है, जबकि यह किसानों को 240 रुपये में मिलेगी। फसल उत्पादन में 8 से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी भी होती है। इससे खेती पर लागत कम आएगी। यह भूमिगत जल के गुणवत्ता को सुधारने व जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।

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