सण्डा विधि उपज के लिहाज से कारगर, अब हो रही देर
दुबिहां (गाजीपुर) स्थानीय क्षेत्र के किसान धान की रोपाई के लिए सण्डा विधि पर अधिक जोर दे रहे हैं। किसानों के अनुसार सण्डा विधि से रोपाई करने पर उपज ज्यादा होती है रोग कम लगता है। हालांकि सण्डा विधि मे परिश्रम व मेहनत ज्यादा लगती है और खर्च भी दुगुना आता है फिर क्षेत्र के किसानों का रूझाव सण्डा विधि पर ज्यादा है ।
फोटो- 11सी।
जागरण संवाददाता, दुबिहां (गाजीपुर) : स्थानीय क्षेत्र के किसान धान की रोपाई के लिए सण्डा विधि पर अधिक जोर दे रहे हैं। किसानों के अनुसार सण्डा विधि से रोपाई करने पर उपज ज्यादा होती है रोग कम लगता है। हालांकि सण्डा विधि मे परिश्रम व मेहनत ज्यादा लगती है और खर्च भी दोगुना आता है। यूं तो इस विधि से अभी भी रोपाई हो रही है लेकिन अब ज्यादा देर ठीक नहीं।
सण्डा के लिए 15 मई से पहले धान की नर्सरी डाल दी जाती है और हर तीसरे दिन उसमें पानी चलाया जाता है जिससे कि नमी बनी रहे। धान की नर्सरी तैयार होने के बाद उसे उखाड़ कर खेत में सण्डा किया जाता है। 15 जून तक सण्डा की रोपाई कर दी जाती है। सण्डा सही तरह से तैयार करने के लिए पानी का होना बहुत जरूरी है। साथ ही उर्वरक खाद जैसे यूरिया, जिक व सल्फर मिलाकर डाला जाता है। कुछ किसान सण्डा करने से पहले उस खेत में डाई खाद का भी प्रयोग करते हैं। सण्डा धान की नर्सरी 20 से 25 दिन में तैयार हो जाती है। दो बार रोपाई एवं खाद बीज व उर्वरक खाद के साथ साथ दोगुनी मेहनत जरूर लगती है लेकिन यह उपज के लिहाज से फायदेमंद माना जाता है। सुबास पाण्डेय, बंशनारायन यादव, राजेश यादव, प्रमोद तिवारी, सतिराम यादव आदि किसानों ने बताया कि खर्च और मेहनत तो लगती है लेकिन उपज अच्छी होती है।