बुजुर्ग नींव के पत्थर, उनकी सेवा न करें तो मंदिर जाना व्यर्थ
गाजीपुर माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक-2019 को लेकर छात्र-छात्राएं उत्साहित हैं। कालेज में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा को लेकर तत्पर हैं। आपस में चर्चा के दौरान कहते हैं कि कुछ गैर जिम्मेदार लोगों की वजह से सरकार को बुजुर्गों की सेवा के लिए कानून बना पड़ रहा है। यह पढ़े-लिखे लोगों के लिए शर्म की बात है।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक-2019 को लेकर छात्र-छात्राएं उत्साहित हैं। कालेज में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा को लेकर तत्पर हैं। आपस में चर्चा के दौरान कहते हैं कि कुछ गैर जिम्मेदार लोगों की वजह से सरकार को बुजुर्गों की सेवा के लिए कानून बना पड़ रहा है। यह पढ़े-लिखे लोगों के लिए शर्म की बात है।
वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण व कल्याण विधेयक में संशोधन कर सरकार ने लापरवाह युवाओं पर नकेल कसने का काम किया है। समाज में बुजुर्गों का अहम स्थान है। उनका अनुभव परिवार के युवाओं के लिए कारगर होता है। घर पर माता-पिता व दादा-दादी के साथ रहने वाले बच्चों में संस्कार खुद पर खुद विकसित हो जाता है। आज स्वार्थपरता के चलते शादी के कुछ दिनों बाद ही परिवार से अलग होकर कुछ लोग बच्चों को उनके दादा-दादी के प्यार से वंचित कर दे रहे हैं। सरकार का यह संशोधन बच्चों को उनके दादा-दादी का प्यार दिलाएगा। आज भी विद्यालय आने से पहले बहुत से छात्र-छात्राएं माता-पिता के साथ दादा-दादी का पैर छूकर घर से निकलते हैं। उनकी सेवा करना हमारा धर्म है। विद्यालयों में भी बड़ों का पाठ पढ़ाया जाता है। समाज में बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को देखते हुए सरकार ने यह संशोधन किया है जो काबिल-ए-तारीफ है। बुजुर्ग परिवार के समुचित विकास में रचनात्मक भूमिका निभाते हैं। बचपन में माता-पिता व दादा-दादी बच्चों की हर इच्छा की पूर्ति करते हैं। बढ़ती उम्र के साथ वह शरीर से लाचार हो जाते हैं। ऐसे वक्त में परिवार के युवा की जिम्मेदारी बनती है कि वे उनकी सेवा करें। दादा-दादी की तरह ननिहाल में नाना-नानी से भी हमें प्यार मिलता है। गर्मी की छुट्टियों में जब हम घूमने के लिए वहां जाते हैं तो वे हमें दुलारते हैं। उनकी सेवा करना पुण्य का काम है। नाना-नानी की सेवा में समर्पित कर दिया पूरा जीवन
खानपुर : सिगारपुर में नीलू सिंह ने अपने नाना नानी की सेवा करते हुए पूरा जीवन उन्हें समर्पित कर दिया। सिगारपुर निवासी स्व. योगेंद्र सिंह और उनकी पत्नी जयकुंवर देवी को तीन पुत्रियां ही थी। उनकी शादी के बाद दोनों पति पत्नी के देखभाल की समस्या आ खड़ी हो गयी। नीलू बाल्यावस्था में ही अपने घर जौनपुर के मुफ्तीगंज के मोहद्दीपुर गांव से सिगारपुर आ गए। यहीं अपनी प्राथमिक शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा ग्रहण करते हुए अपने वृद्ध नाना नानी की सेवा करने लगे। पूर्व रेंजर योगेंद्र सिंह के देहांत के बाद अपने नानी जयकुंवर की देखभाल के लिए नीलू सिंह ने अपने पत्नी बच्चों के साथ नानी के घर रह गए। नीलू की पत्नी मीना व उनकी पुत्रियां नेहा व मीना भी जयकुंवर देवी की सेवा पूरे मन से करती हैं।